फिरसे बचपने में खो जाते हैं।
फिरसे बचपने में खो जाते हैं।
चलो हम भी बच्चे हो जाते हैं।।
मम्मी से माँगें चन्दा खिलौना।
पुरानी दरी हो या गन्दा बिछौना।।
गुड्डे और गुड़िया की शादी करेंगें।
बैठेंगंे चुप भी कभी हम लड़ेगें।।
दीदी की गलती है उसने है मारा
भइया ने खाया मेरा केक सारा।।
कभी तो करेंगें झूठी शिकायत।
टूटी जो पेंसिल मिलेगी हिदायत।।
पापा के आगे पीछे फिरेंगें।
कभी हों खड़े और कभी हम गिरेंगें।।
घुटने के बल भी फिर से है चलना।
टूटा खिलौना तो हाँथों को मलना।।
पढने को लेकर बहाने बनाना।
कभी हम जो रूठे तो सबका मनाना।।
न कोई चिन्ता न कोई फिकर हो।
सोंचे नहीं कुछ जाना किधर हो।।
जीना है हमको वही दिन हमेशा।
खुश भी रहेंगें बिना रूपया पैसा।।
ज़िद भी करेंगें खुद से कभी तो,
कभी बेफिकर हो सो जाते है।।
चलो हम भी बच्चे हो जाते हैं……..