कविता

लोकतंत्र की महक

मधु अमृत सा संचार हो जिसके मन में,
जीवन में उसके प्यार की भरमार है,
समय की कसौटी पर खरा उतरा है जो,
यही उसके सफल जीवन का आधार है,
अजय, अजर, अमर है वह इस धरा पर,
परमात्मा का उस पर सच्चा उपकार है,
जयकार के साथ स्वागत करती है दुनिया उसका,
ऐसे परोपकारी मानव को बार बार नमस्कार है,
प्रकाश फैलता है जो , दूर करता है अन्धकार,
उसकी जीवन नैय्या का सहर्ष बेडा पार है,
आओ अवलोकन करें बीते वर्षो  का,
और चुनाव के इस पुनीत पर्व पर,
सब मिल कर यही विचार करें,
अपनी वाणी में मधु अमृत रस खोल कर,
हर प्राणी से दिल लगा कर, जन सेवा का संकल्प लिए,
सच्चे दिल से वह जन जन का परोपकार करें,
तभी तो लोकतंत्र की महक अपना रंग दिखएगी,
जब भी हम करें किसी जन नेता के कार्यो का विश्लेषण,
उसके ‘कर्मो’ की ख्याति, सारी दुनिया को नज़र आएगी,
दिल को मिलेगा सुख चैन और जीवन में खुशियों की बहार,
क्या इस चुनाव के बाद ,हमें कोई दे पायेगा यह उपहार,
जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845