प्रेम कविता
ये तन्हाईयाँ
ढूंढ ही लेती है तेरा पता
छा जाता तू मेरे मन पे इसतरह
सांसों की आहट में
जिंदगी बसती हो जिसतरह
आता है जब तू मन के आंगन में
मैं महफिल तू रौनक हो जाता है
प्रेम की वीणा बजती है दिल में
तू झंकृत कर उत्तेजित कर जाता है
तेरे होने के एहसास भर से
मेरा रोम-रोम खिल जाता है
बह चला है अब मन मेरा
जज्बातों के प्रेम समंदर में
तू थामकर मुझको बाहों में
किनारा मुझको कर जाता
आकर तेरे सानिध्य में
मेरा सबकुछ तेरा हो जाता
एक दिव्य एहसास की अनुभूति से
प्रेम का परिचय हो जाता है।
बहुत सुंदर