“अपने जैसे लगते हो”
कितने वर्षों बाद मिले हो,
पर अपने जैसे लगते हो,
आंख का पानी सूख गया है,
तुम भी कितना गम सहते हो,
एक दिन जीवन होगा अपना,
बोलो तुम भी क्या कहते हो,
एक सपना मैंने देखा है,
तुम भी तो सपने बुनते हो,
दर्द छुपाने में हो माहिर,
मेरी तरह तुम भी हंसते हो,
दौलत शोहरत इज्जत पैसा,
उसकी चिंता क्यों करते हो,
थोड़ा मैं तुझ में रहता हूं,
थोड़ा तुम मुझ में रहते हो,
सुंदर
अच्छी गजल!