सामाजिक

जीवन सिर्फ विचारों का खेल

हमारी जिंदगी में जो कुछ भी आता है। उसे हम अपने विचारों से ही आकर्षित करते हैं। साथ ही जो कुछ भी हम जिंदगी में चाहते है। भले ही वह कितना भी बड़ा या छोटा क्यों न हो। हम उसे अपने विचारों की सहायता से हासिल कर सकते हैं।
लेकिन यहाँ एक समस्या हैं कि– हम क्या चाहते हैं। इस बारे में सोचने की बजाए हम हमेशा उस बारे में सोचते रहते हैं। जो हम नहीं चाहते हैं। परिणामस्वरूप वही होता है। जो हम नहीं चाहते।आकर्षण का नियम बुराई और अच्छाई को अलग नहीं करता है। बल्कि आप क्या चाहते हैं और क्या नहीं चाहते इसे अलग करता है।
जिसका अर्थ है कि “पसंद ही पसंद को आकर्षित करती है।”
हम अपने सपनों को ही वास्तविकता में कैसे परिवर्तित कर सकते हैं। हमेशा पैसे और समृद्धि के बारे में सोचने से ही वह हमारे पास आता है। हमारी सोच ही इन सारी चीजों को हमारे जीवन में प्रकट करती है। इसी प्रकार यदि हम किसी बुरी परिस्थिति के बारे में लगातार सोचते रहेंगे। तो मजबूरन हमको डर की अनुभूति होगी। इसीलिए हमें हमेशा सकारात्मक ही सोचते रहना चाहिए। दुर्घटनाओं और बुरी किस्मत जैसी कोई चीज नहीं होती है।
“हमारी वर्तमान जिंदगी हमारे भूतकालीन विचारो का ही प्रतिबिंब है।”
हमारा दिमाग एक चुम्बक और उत्सर्जक है। जिसे आकर्षण के नियम की वजह से समय-समय पर ब्रह्माण्ड से आवृत्तियाँ मिलती रहती है। उस वक्त में हमारा दिमाग हमको कहीं भी ले जा सकता है। जिसे हम चाहते हो। जैसे की नए घर का सपना, और कभी न कभी और किसी तरह से एक न एक दिन वह हमारे पास जरुर आ ही जाता है। किसी अच्छे कार्य द्वारा पुरस्कार की प्राप्तिॆ। दूसरी तरफ कमियों और गरीबी के बारे लगातार सोचते रहने से ही आपको जिंदगी में बुरी परिस्थितियाँ हमेशा बनी रहती हैं।
बहुत ज्यादा नकारात्मक विचारों के बारे में सोचने से भी हमारी सोच हमको प्राकृतिक आपदा या दुर्घटनाओं की तरफ ले जाती है।
“कल्पना करना, विश्वास करना और फिर प्राप्त करना।”
यह नियम हमारे जीवन में लागू होता है।
इस प्रक्रिया में हमको जिसे प्राप्त करना है। उसकी कल्पना करनी होती है और मानना पड़ता है कि हमारे पास वह चीज पहले से ही मौजूद है। यह ब्रह्माण्ड ही हमारा चिराग है। जो हमेशा हमारी इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए तैयार रहता है। लेकिन जब तक हम उससे कुछ माँगेंगे नहीं, तब तक ब्रह्माण्ड हमारे लिए कुछ नही भेजेगा।
हमको हमेशा उस बात के लिए कल्पना करते रहना चाहिए। जिसे हम चाहते हैं। क्योंकि जब तक हम सीधे तरीके से नहीं पूछेंगे। तब तक संकेत भ्रमित रहेंगे। और मिश्रित परिणामों को आकर्षित कर लेगें। इसके लिए हमको बार-बार सही व सार्थक कल्पना करने की जरुरत नहीं है। क्योंकि ब्रह्माण्ड स्पष्ट की हुई बात को आसानी से एक बार में ही समझ लेता है। बार-बार एक ही चीज के बारे में पूछते रहने से कई बार शक भी होता है।
प्राप्त करने से पहले हमको विश्वास करना सीखना होगा कि हमारे द्वारा इच्छा जताने के तुरंत बाद वह चीज हमारे पास आ गयी है। क्योंकि एक बार यदि हमने विश्वास करना सीख लिया तो हम आसानी से अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। विश्वास करना ही सबसे कठिन प्रक्रिया है।
कुछ पाने के लिए यह जरुरी है कि हम उसके बारे में हमेशा अच्छा सोचे। ऐसा बर्ताव करें कि हम जिस वस्तु को चाहते थे। वह वस्तु पहले से ही हमारे पास है। योजना बनाना चाहिए कि हम उस वस्तु को लेकर किस प्रकार आनंद प्राप्त करेंगे। उससे हमारा कार्य कितना आसान हो जायेगा। ऐसा बर्ताव करने से आवृत्तियाँ हमारी सकारात्मक सोच को ब्रह्माण्ड में भेजती हैं और अंततः हमारी इच्छा वास्तव में पूरी हो जाती है।
ऐसा करने के लिए एक वाक्य को बार-बार दोहराना चाहिए। “मुझे अपनी जिंदगी में सब कुछ अच्छा ही मिल रहा है और अब मुझे वो सब कुछ मिल रहा है जिसे मैं चाहता था।
समय की अवधारणा आकर्षण के नियम से जुड़ी होती है। कुछ चीजों को हासिल करने में बहुत ज्यादा समय इसलिए लगता है क्योंकि हमें उन पर पूरा विश्वास नहीं होता। हम में अपनी जिंदगी को परफेक्ट बनाने की काबिलियत है। हम अपने विचारों के चालक और मालिक दोनों हैं। हमको इस बात का अंदाज़ा भी नहीं है कि हम केवल अपने विचारों के बल पर ही इस दुनिया को जीत सकते हैं।
सकारात्मक विचारों पर ज्यादा से ज्यादा जोर देना चाहिए। सब कुछ हमारे विचारों से ही नियंत्रित होता है, बल्कि हमारी सेहत भी इसी पर निर्भर करती है। भोजन से ही हमारा वजन बढ़ रहा है। यह इसलिए क्योंकि हम ऐसा ही सोचते है।
चाहे हम माने या ना माने लेकिन हमारे विचार ही सच्चाई बनकर एक दिन हमारे सामने आते हैं।
इसलिए विचारों का सकारात्मक होना जरुरी है।
सम्पूर्ण सृष्टि हमारी भावनाओं के माध्यम से हमसे संवाद करती है। हम कभी अकेले नहीं होते हैं। यह सृष्टि हर पल हमारा मार्गदर्शन कर रही है, लेकिन हमें केवल उस पर गौर करना है। यह”धन्यवाद’ शब्द बहुत महान  है। यह शब्द हमारे जीवन मैं चमत्कार कर देता है। नकारात्मकता को मिटा देता है। सृष्टि की सारी शक्तियों का आह्वान करता है कि वे सारी चीजें हमारी ओर ले आये।हमें पूरी शिद्दत से महसूस करने और कामना करने की आवश्यकता है। सब अच्छा है,और यकीन मानिए सब अच्छा होगा, सोचा हुआ ही पूरा होता है। जीवन खुशियों और समृद्धि के समुद्र में गोते लगाता है। मन के सितार को गुनगुनाने के लिए मजबूर कर देता है। जिन्दगी को आसान कर देता है। जीवन का आनंद यही है।मनचाही चीजों को हासिल करने के लिए मन के भावों को जगाना होगा। उसे मन से महसूस भी करना होगा। हम अपने मनचाहे व्यक्तित्व को पा सकते हैं। अपने मनचाहे काम कर सकते हैं और अपनी मनचाही चीज़ पा सकते हैं। जब हम जान जाएँगे कि हम सचमुच कौन हैं और हम उस सच्ची भव्यता को जान जाएँगे। जो जीवन में हमारा इंतज़ार कर रही है।
हम अपने जीवन के हर पहलू    धन, सेहत, संबंध, ख़ुशी और लोक-व्यवहार में इसका का प्रयोग करना चाहिए। हम अपने भीतर छिपी उस प्रबल शक्ति को जान जाएँगे। जिसका अब तक दोहन नहीं हुआ था। यह एहसास हमारे जीवन के हर पहलू को ख़ुशियों से भर सकता है।
जिन्होंने इसका प्रयोग सेहत, दौलत और सुख हासिल करने में किया है। उनसे से पता चलता है इस बात पर अमल करने से बीमारियाँ ठीक हो सकती हैं। अथाह दौलत पाई जा सकती है। समस्याओं को सुलझाया जा सकता है और असंभव समझी जाने वाली चीज़ों को हासिल किया जा सकता है।

निशा नंदिनी 

*डॉ. निशा नंदिनी भारतीय

13 सितंबर 1962 को रामपुर उत्तर प्रदेश जन्मी,डॉ.निशा गुप्ता (साहित्यिक नाम डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)वरिष्ठ साहित्यकार हैं। माता-पिता स्वर्गीय बैजनाथ गुप्ता व राधा देवी गुप्ता। पति श्री लक्ष्मी प्रसाद गुप्ता। बेटा रोचक गुप्ता और जुड़वा बेटियां रुमिता गुप्ता, रुहिता गुप्ता हैं। आपने हिन्दी,सामाजशास्त्र,दर्शन शास्त्र तीन विषयों में स्नाकोत्तर तथा बी.एड के उपरांत संत कबीर पर शोधकार्य किया। आप 38 वर्षों से तिनसुकिया असम में समाज सेवा में कार्यरत हैं। असमिया भाषा के उत्तरोत्तर विकास के साथ-साथ आपने हिन्दी को भी प्रतिष्ठित किया। असमिया संस्कृति और असमिया भाषा से आपका गहरा लगाव है, वैसे तो आप लगभग पांच दर्जन पुस्तकों की प्रणेता हैं...लेकिन असम की संस्कृति पर लिखी दो पुस्तकें उन्हें बहुत प्रिय है। "भारत का गौरव असम" और "असम की गौरवमयी संस्कृति" 15 वर्ष की आयु से लेखन कार्य में लगी हैं। काव्य संग्रह,निबंध संग्रह,कहानी संग्रह, जीवनी संग्रह,बाल साहित्य,यात्रा वृत्तांत,उपन्यास आदि सभी विधाओं में पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। मुक्त-हृदय (बाल काव्य संग्रह) नया आकाश (लघुकथा संग्रह) दो पुस्तकों का संपादन भी किया है। लेखन के साथ-साथ नाटक मंचन, आलेखन कला, चित्रकला तथा हस्तशिल्प आदि में भी आपकी रुचि है। 30 वर्षों तक विभिन्न विद्यालयों व कॉलेज में अध्यापन कार्य किया है। वर्तमान में सलाहकार व काउंसलर है। देश-विदेश की लगभग छह दर्जन से अधिक प्रसिद्ध पत्र- पत्रिकाओं में लेख,कहानियाँ, कविताएं व निबंध आदि प्रकाशित हो चुके हैं। रामपुर उत्तर प्रदेश, डिब्रूगढ़ असम व दिल्ली आकाशवाणी से परिचर्चा कविता पाठ व वार्तालाप नाटक आदि का प्रसारण हो चुका है। दिल्ली दूरदर्शन से साहित्यिक साक्षात्कार।आप 13 देशों की साहित्यिक यात्रा कर चुकी हैं। संत गाडगे बाबा अमरावती विश्व विद्यालय के(प्रथम वर्ष) में अनिवार्य हिन्दी के लिए स्वीकृत पाठ्य पुस्तक "गुंजन" में "प्रयत्न" नामक कविता संकलित की गई है। "शिशु गीत" पुस्तक का तिनसुकिया, असम के विभिन्न विद्यालयों में पठन-पाठन हो रहा है। बाल उपन्यास-"जादूगरनी हलकारा" का असमिया में अनुवाद हो चुका है। "स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्व विद्यालय नांदेड़" में (बी.कॉम, बी.ए,बी.एस.सी (द्वितीय वर्ष) स्वीकृत पुस्तक "गद्य तरंग" में "वीरांगना कनकलता बरुआ" का जीवनी कृत लेख संकलित किया गया है। अपने 2020 में सबसे अधिक 860 सामाजिक कविताएं लिखने का इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। जिसके लिए प्रकृति फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया गया। 2021 में पॉलीथिन से गमले बनाकर पौधे लगाने का इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। 2022 सबसे लम्बी कविता "देखो सूरज खड़ा हुआ" इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। वर्तमान में आप "इंद्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल न्यास" की मार्ग दर्शक, "शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास" की कार्यकर्ता, विवेकानंद केंद्र कन्या कुमारी की कार्यकर्ता, अहिंसा यात्रा की सूत्रधार, हार्ट केयर सोसायटी की सदस्य, नमो मंत्र फाउंडेशन की असम प्रदेश की कनवेनर, रामायण रिसर्च काउंसिल की राष्ट्रीय संयोजक हैं। आपको "मानव संसाधन मंत्रालय" की ओर से "माननीय शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी जी" द्वारा शिक्षण के क्षेत्र में प्रोत्साहन प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जा चुका है। विक्रमशिला विश्व विद्यालय द्वारा "विद्या वाचस्पति" की उपाधि से सम्मानित किया गया। वैश्विक साहित्यिक व सांस्कृतिक महोत्सव इंडोनेशिया व मलेशिया में छत्तीसगढ़ द्वारा- साहित्य वैभव सम्मान, थाईलैंड के क्राबी महोत्सव में साहित्य वैभव सम्मान, हिन्दी साहित्य सम्मेलन असम द्वारा रजत जयंती के अवसर पर साहित्यकार सम्मान,भारत सरकार आकाशवाणी सर्वभाषा कवि सम्मेलन में मध्य प्रदेश द्वारा साहित्यकार सम्मान प्राप्त हुआ तथा वल्ड बुक रिकार्ड में दर्ज किया गया। बाल्यकाल से ही आपकी साहित्य में विशेष रुचि रही है...उसी के परिणाम स्वरूप आज देश विदेश के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उन्हें पढ़ा जा सकता है...इसके साथ ही देश विदेश के लगभग पांच दर्जन सम्मानों से सम्मानित हैं। आपके जीवन का उद्देश्य सकारात्मक सोच द्वारा सच्चे हृदय से अपने देश की सेवा करना और कफन के रूप में तिरंगा प्राप्त करना है। वर्तमान पता/ स्थाई पता-------- निशा नंदिनी भारतीय आर.के.विला बाँसबाड़ी, हिजीगुड़ी, गली- ज्ञानपीठ स्कूल तिनसुकिया, असम 786192 [email protected]