राजनीति

महात्मा नरेंद्र मोदी : एक विराट व्यक्तित्व

नरेंद्र मोदी के विराट व्यक्तित्व के सामने विपक्षी दल के नेता बौने लगते हैं I अपने बौनेपन को छुपाने के लिए इन जातिवादी- परिवारवादी भ्रष्ट और पदलोलुप नेताओं ने गठबंधन कर लिया है I यह गठबंधन इनके भय का प्रकटीकरण है I इनके लिए मोदी को परास्त करना प्रथम और अंतिम प्राथमिकता है I विगत सत्रह वर्षों से गाली, अपमान, षड्यंत्र का दंश झेलता यह राष्ट्रवादी तपस्वी हिमालय के समान 56 इंच का सीना तानकर खड़ा है I इस व्यक्ति का अपना कोई स्वार्थ नहीं है, परिवार को आगे नहीं बढ़ाना है, किसी को उठाना और किसी को गिराना नहीं है I इस धुग्धधवल चरित्र के स्वामी का परम और चरम लक्ष्य देश को मजबूत, सक्षम और समर्थ बनाना है ताकि दुष्ट पड़ोसी चीन और धोखेबाज पड़ोसी पाकिस्तान आँख नहीं दिखा सकें I मोदी अपने भाषणों में कभी –कभी पिछड़ा कार्ड खेलते हैं, अपनी कूटनीति दिखाते हैं, विपक्षी नेताओं के चाल –चरित्र को भांपकर उन पर शब्दों के हथौड़े भी मारते हैं I अजगरों- सर्पों और गिरगिटों से भरी बस्ती में यदि रहना है तो थोड़ा – बहुत विष तो रखना ही पड़ेगा अन्यथा ये विषधारी अस्तित्व ही समाप्त कर देंगे I जब अस्तित्व ही नहीं बचेगा तो उत्तर कैसे देंगे I आत्मा रक्षितो धर्मः I विपक्षी नेताओं से निपटना तो मोदी का तात्कालिक लक्ष्य है, उनका परम लक्ष्य देश के स्वाभिमान को जाग्रत करना है I धीरे- धीरे क्षेत्रीय पार्टियों को स्वयं में समाहित कर लेना अथवा इन्हें दुर्बल कर क्षेत्रीयता, जातिवाद, भाषावाद, प्रांतवाद पर प्रहार कर राष्ट्रीयता की बुनियाद को मजबूत करना मोदी का परम लक्ष्य है I वास्तव में ये छोटी – छोटी जातिवादी- परिवारवादी पार्टियां राष्ट्रीय स्मिता को व्यक्त नहीं करतीं बल्कि ब्लैकमेल कर अपने भ्रष्टाचार के साम्राज्य को सुरक्षित करने का उपक्रम करती रहती हैं I क्षेत्रीय पार्टियाँ राष्ट्रीय स्वाभिमान में बाधक हैं I भारतवासियों के सामने अपने महापुरुष को पहचानने का यह स्वर्णिम अवसर है I अफ़सोस कि भारतवासियों का पहचान – बोध इतना दुर्बल है कि वे अपने महापुरुषों को पहचान ही नहीं पाते हैं और उसके चले जाने के बाद छाती पीटते रहते हैं I तत्कालीन भारतीय समाज ने तुलसीदास, कबीरदास, भवभूति को नहीं पहचाना, आधुनिक युग में आचार्य रजनीश जैसे महापुरुष को नहीं पहचाना, जो मूर्ख नेता आज वाजपेयी जी की प्रशंसा का ताजमहल निर्मित करते हैं उनलोगों ने कैसे छल से उनकी सरकारें अपदस्थ कर दीं और जनता ने भी कांग्रेस के झूठ और मिथ्या प्रचार के वशीभूत होकर चुनाव में उन्हें परास्त कर दिया I इसलिए भारतीय मनीषा का विस्तार करनेवाले और हिंदुत्व को गौरव देनेवाले इस महात्मा को पहचानो और अपना पूरा समर्थन दो अन्यथा हो सकता है कि यह महापुरुष अपना झोला उठाकर जंगल की ओर चला जाए और तुम पर पुनः इटालियन माता और मंदबुद्धि राजकुमार का अराजक व षड्यंत्री शासन स्थापित हो जाए

*वीरेन्द्र परमार

जन्म स्थान:- ग्राम+पोस्ट-जयमल डुमरी, जिला:- मुजफ्फरपुर(बिहार) -843107, जन्मतिथि:-10 मार्च 1962, शिक्षा:- एम.ए. (हिंदी),बी.एड.,नेट(यूजीसी),पीएच.डी., पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक,सांस्कृतिक, भाषिक,साहित्यिक पक्षों,राजभाषा,राष्ट्रभाषा,लोकसाहित्य आदि विषयों पर गंभीर लेखन, प्रकाशित पुस्तकें :1.अरुणाचल का लोकजीवन 2.अरुणाचल के आदिवासी और उनका लोकसाहित्य 3.हिंदी सेवी संस्था कोश 4.राजभाषा विमर्श 5.कथाकार आचार्य शिवपूजन सहाय 6.हिंदी : राजभाषा, जनभाषा,विश्वभाषा 7.पूर्वोत्तर भारत : अतुल्य भारत 8.असम : लोकजीवन और संस्कृति 9.मेघालय : लोकजीवन और संस्कृति 10.त्रिपुरा : लोकजीवन और संस्कृति 11.नागालैंड : लोकजीवन और संस्कृति 12.पूर्वोत्तर भारत की नागा और कुकी–चीन जनजातियाँ 13.उत्तर–पूर्वी भारत के आदिवासी 14.पूर्वोत्तर भारत के पर्व–त्योहार 15.पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक आयाम 16.यतो अधर्मः ततो जयः (व्यंग्य संग्रह) 17.मणिपुर : भारत का मणिमुकुट 18.उत्तर-पूर्वी भारत का लोक साहित्य 19.अरुणाचल प्रदेश : लोकजीवन और संस्कृति 20.असम : आदिवासी और लोक साहित्य 21.मिजोरम : आदिवासी और लोक साहित्य 22.पूर्वोत्तर भारत : धर्म और संस्कृति 23.पूर्वोत्तर भारत कोश (तीन खंड) 24.आदिवासी संस्कृति 25.समय होत बलवान (डायरी) 26.समय समर्थ गुरु (डायरी) 27.सिक्किम : लोकजीवन और संस्कृति 28.फूलों का देश नीदरलैंड (यात्रा संस्मरण) I मोबाइल-9868200085, ईमेल:- [email protected]