एनर्जी अब तक तुम कहाँ थीं???
एक यक्ष प्रश्न है
एनर्जी अब तक तुम कहाँ थीं???
क्या सचमुच इस प्रश्न का
उत्तर देना मुश्किल है?
मुश्किल कुछ भी नहीं होता
हर समस्या का समाधान
है मौजूद होता
एनर्जी रहती है
आस में
विश्वास में
आत्मविश्वास में
प्रेरणा में
प्रोत्साहन में
साहस से बाधाओं को
पार करने के
जज्बे में
एक निश्चित लक्ष्य निर्धारित कर
उसे पूरा करने में
हृदय से दी जाने वाली
शुभकामनाओं में
भाव से की जाने वाली
इबादत में
दिल से किसी को
क्षमा करने में
धीरे-धीरे रे मना
धीरे सब कुछ होय को
मानकर धैर्य धारण करने में
ध्यान लगाकर
मन को एकाग्र करने में है.
एनर्जी ईंधन की भी होती है
हमें ईंधन का सोच-समझकर
सीमित प्रयोग करना है
ताक आने वाली पीढ़ी को भी
ईंधन एनर्जी हस्तांतरित कर सकें.
एनर्जी अणु में भी होती है, परमाणु में भी
हमें परमाणु एनर्जी का प्रयोग
विकास के लिए करना है
विनाश के लिए नहीं.
सच्ची एनर्जी हमारे अंतर्मन में बसी है
बस अपनी एनर्जी को जानना है
अपनी एनर्जी को जानने के लिए
अपनी प्रतिभा को पहचानना है
अपनी प्रतिभा को पहचानना है
अपनी प्रतिभा को पहचानना है.
कई महीने पहले हमारे एक ब्लॉग के कामेंट में हमारे कामेंटेटर प्रकाश मौसम भाई ने अपने दार्शनिक अंदाज में एक पंक्ति लिखी थी-
एनर्जी अब तक तुम कहाँ थीं???
इसी पंक्ति पर आधारित यह कविता आप सबको समर्पित है.
कई महीने पहले हमारे एक ब्लॉग के कामेंट में हमारे कामेंटेटर प्रकाश मौसम भाई ने अपने दार्शनिक अंदाज में एक पंक्ति लिखी थी-
एनर्जी अब तक तुम कहाँ थीं???
इसी पंक्ति पर आधारित यह कविता आप सबको समर्पित है.