फिर सदाबहार काव्यालय- 23
प्यार की प्यास
प्यार की प्यास है प्यार से ही बुझेगी
अभी कुछ दिन पहले की ही तो बात है
जब तुम पास होती थीं
क्या समां होता था
क्या उजास होती थी
निगाहें चमकती रहती थीं
सूरत दमकती रहती थी
आवाज़ खनकती रहती थी
सांसें महकती रहती थीं
जब तुमसे मिलने का समय नज़दीक आता था
क्या-क्या बातें किस तरह करनी हैं
हर समय मन यही सोचता रहता था
जब तुम आती थीं,
जाने क्या जादू चलाती थीं
कुछ भी कहना याद ही नहीं रहता था
तुम्हारे जाने के बाद मन मसोसकर रह जाता था
मन बहलाने को किसी तरह सोने का उपक्रम करता था
अव्वल तो निद्रा देवी आती ही नहीं थी
भूले-भटके नींद आ ही गई तो तुम्हारे ही ख़्वाब भी आते थे
तुमसे मिलने की तम्मना पूरी हो-न-हो
सपने मन को सताते थे, आनंद का पैग़ाम भी लाते थे
अब तो बात ही कुछ और है
तुम्हारे दिल में मेरे लिए
सचमुच तो क्या सपनों में भी नहीं कोई ठौर है
निगाहों ने चमकना छोड़ दिया है
सूरत की दमक ने मुंहं मोड़ लिया है
आवाज़ की खनक तो फ़ाख़्ता हो ही गई
सांसों ने भी महक से नाता तोड़ दिया है
मायूसी की मोहताजी ने मानो जकड़ लिया है
मिलने वाले समझते हैं कि मैं सावन में भी
बरखा रानी के न आने से तृषित हूं, संतप्त हूं
जैसे ही एक बार झूमकर सावन की झड़ी लगेगी
मेरी तृषा तृप्त हो जाएगी, प्यास अवश्य बुझेगी
पर, मेरा ही दिल जानता है
प्यार की प्यास है प्यार से ही बुझेगी.
लखमी चंद तिवानी
संक्षिप्त परिचय-
शिक्षा- एम.एस.सी.
सम्प्रति- भारत-सरकार से रिटायर्ड उच्च पदाधिकारी
रुचि- हिंदी-सिंधी-अंग्रेजी में लेखन
प्रकाशन- सिंधी में कविता की एक पुस्तक प्रकाशित
अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित
फिर सदाबहार काव्यालय के लिए कविताएं भेजने के लिए ई.मेल-
[email protected]
वाह बहुत सुंदर….👌👌
प्रिय सखी सुमन जी, कविता पसंद करने के लिए आभार. आप रसलीला ब्लॉग पर भी यही कामेंट कर सकती हैं और सदाबहार काव्यालय के लिए सदाबहार कविता भी भेज सकती है.
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/
प्यार की प्यास ही बुझ गई तो प्यार का अस्तित्व ही नहीं रहेगा. प्यार ही जीवन है. प्यार की प्यास तो हमारे जीवन की श्रेष्ठ पूंजी है, इस प्यास को प्यास को प्यास ही रहने देना ही श्रेयस्कर है.