दोहे
कड़ी धूप ऐसी पड़ी, धरा गई सब सूख।
गर्मी का मौसम हुआ, पड़े जोर की धूप।।
गर्मी के संताप से,……….धरा हुई बेहाल।
जून मास की दुपहरी, तन मन हुआ निढाल।।
कर्ज में डूबा किसान, माथे शिकन हजार।
उल्टा-सीधा व्याज दे, खुद भूखा लाचार।।
फसलें चौपट हो गई….जल का हुआ अभाव।
बिषम परिस्थिति सामने, मन में होत तनाव।।
बीज वो दिए खेत में……..करें खेत खलिहान।
फसल काटकर खेत से, खुश है आज किसान।।
मेहनत करे लगन से,….माने कभी न हार।
कृषक देवता आप ही, जीवन का आधार।।
✍ सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा
Thanks