आक्रोश
“सर, आज न तो स्वतंत्रता दिवस है, न ही गणतंत्र दिवस, गांधी जयंती भी तो नहीं, फिर इधर ये देशभक्ति और शहीदों वाले गीत क्यों बजाए जा रहे हैं।” अनपढ़ से दिखने वाले लाइनमैन ने मुझसे पूछा।
“सुना है आज नेताजी आ रहे हैं जनसंपर्क के लिए, चुनाव के संदर्भ में।” मैंने बताया उसे।
“अच्छा…, तो ये बात है।” वह बोला और अपने काम में लग गया।
“अरे, ये लाइट कैसे चली गई ? अभी तक तो सब कुछ ठीक-ठाक था।” मैंने पूछा।
“सर लाइट चली नहीं गई, मैंने जानबूझ कर बंद कर दी है। इन भ्रष्ट नेताओं के स्वागत में देशभक्ति गीत बजाकर हम अपने अमर शहीदों, गीतकारों और गायकों का अपमान नहीं होने दे सकते।” उसका जवाब सुनकर मैं स्तब्ध रह गया।
-डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़