मिट्टी से बने बर्तनों का भी उपयोग किया करें
खुदाई के दौरान मिट्टी के बर्तन भी पाए गए | प्राचीन काल से ही मिट्टी के बर्तनों का उपयोग होता था | लगभग 250 वर्षो से धातुओं से बने बर्तनों का चलन हुआ | मिट्टी के बनेबर्तन में खाना बनाने से पौष्टिकता ,स्वाद के परिणाम बेहतर प्राप्त है और पीने के तरल पदार्थ मन को संतुष्टि देते है | उदाहरण के तौर चूल्हे पर मिट्टी की खापरी में रोटी व , मिटटी की हांड़ी में सब्जी बनाने से स्वाद दुगना हो जाता है| मिट्टी के पात्र में दही ज़माने से दही बेहतर जमता है | मिटटी के पात्र में भरा जल शीतल और गले को तर करने वाला होता है जिसके पीने से प्यास कम ही लगती है | कई जगह पर चाय के कुल्ल्ड में चाय दी जाती है | मिट्टी की सौंधी खुश्बू का स्वाद लगता है | ग्रामीण इलाकों में पानी के परिंडे के नीचे भोजन आदि रखकर उसे तरोताजा रखा जाता है | आधुनिक भौतिक साधन के बिना भी मिट्टी के पात्र में रखी खाद्य सामग्री ख़राब भी नहीं होती है | मिट्टी के बर्तनों का उपयोग अन्य धतुओं के बर्तन आजाने से प्रचलन कम अवश्य हुआ है | मिट्टी के बर्तन में खाना बनने में समय अवश्य लगता है किंतु पोषक तत्व बरक़रार रहते है और स्वाद का अलग ही आनंद होता है | ये बातें तो सब जानते है किन्तु उपयोग की और ध्यान कम ही है |आधुनिकता में मिट्टी से बने पात्रों का उपयोग हर घरों में कम होने लगा सभी धातु के बने पात्रों में बनाना,खाना -पीना पसंद करने लगे | उदाहरण के तौर पर देखें तो सिलबट्टे पर पिसा मसाला और मिट्टी से बने पात्रों का उपयोग करने से वास्तविक स्वाद और पौष्टिकता बरक़रार मिलेगी |स्वस्थ रहने हेतु मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करना चाहिए | मिट्टी से बनाने वाले कारीगर की कला बनी रहकर उनके रोजगार का पक्ष भी मजबूत होगा | मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने की सोच विकसित करें एवं स्वाद ,पौष्टिकता का भी आनंद लेवे |
— संजय वर्मा ‘दृष्टी ‘
125 शहीद भगत सींग मार्ग
मनावर (धार )