भगवान परशुराम की वन्दना
ॐ जय ऋषिवर परशुराम,जय ऋषिवर परशुराम।
विप्र जाति के रक्षक,सबके लीला धाम।।ॐ जय….
जमदाग्नि नन्दन हो,जग के पालनहार।
रेणुका से जन्में,किया शत्रु संहार।।ॐ जय…..
महादेव की भक्ति में,सब अर्पण किया।
बदले में शिवजी ने,परशु भेंट किया।।ॐ जय….
कल्प सूत्र के सृजनकर्ता, चिरंजीवी ब्रह्मचारी।
जन कल्याण करण हित, संहार कियो भारी।।ॐ जय…..
ईश भक्ति पितृ भक्ति,अरु वीरत्व गुण भारी।
शरण रहत ऋषिवर के,जग के नर नारी।।ॐ जय….
लम्बोदर के दंत उखाड़े,शिव दर्शन की ठानी।
अभयदान की याचना,पार्वती ने मानी।।ॐ जय….
कुरुक्षेत्र में जा कर,पितरों का तर्पण किया।
पितृ ऋण से मुक्त हो,जग कल्याण किया।।ॐ जय…..
परशुराम जी की वन्दना, जो कोई जन गावे।
पूज्य ऋषि की कृपा से,वांछित फल पावे।।ॐ जय…
— राजेश कुमार शर्मा “पुरोहित”