बेचारा और जीवन (दो क्षणिकाएं)
बेचारा
बेचारा आदमी,
जब सिर के बाल नहीं आते तो ढूंढता है दवाई,
जब आ जाएं तो ढूंढता है नाई,
सफेद हो जाएं तो ढूंढता है डाई,
…और जब काले रहते हैं तो ढूंढता है लुगाई,
सच है,
आदमी एक, समस्याएं अनेक आईं.
जीवन
जीवन एक चुनौती है,
इसे स्वीकार कीजिए,
जीवन एक सपना है,
इसे साकार कीजिए,
जीवन एक गीत है,
इसे दिल से गाइए,
जीवन एक बाजा है,
इसे प्यार से बजाइए,
जीवन एक राजा है,
इसे प्यार से सजाइए.
एक क्षणिका
1.ज़िंदगी एक पेंटिंग
ज़िंदगी एक पेंटिंग की मानिंद है,
आशा से इसकी रेखाएं खींचिए,
सहनशीलता से इसकी त्रुटियों को मिटाइए,
असीम धैर्य के रंग में इसके ब्रुश को डुबोइए,
और
प्रेम से इसमें प्रेम के रंग भरिए.