मनहरण घनाक्षरी – दान
दान होता महादान, करो वस्तु तुम दान,
धन दान, रक्त दान, दान कुछ कीजिए।
दान देना नेक काम, करे कोई जलपान,
अन्न दान बड़ा काम, क्षुधा शांत कीजिए।
सब अधिकार जान, करो तुम मतदान,
दान का महत्व जान, दान सदा दीजिए।
नीच – ऊँच का न भेद, देता तुम्हें सदा देव,
सदा हो ही सत्यमेव, नेक काम कीजिए।
त्रस्त कभी होना नहीं, हाथ खींच लेना नहीं,
चाह को भी आप कभी, छोटा मत कीजिए।
बड़े – बड़े वीर दानी, जानते सभी अज्ञानी,
कर्ण वीर भी थे दानी, थोड़ा ज्ञान लीजिए।
बड़े कर्म कर जाओ, दान सदा देते जाओ,
सही मार्ग अपनाओ, आशीष सदा लीजिए।
चक्षु अपने खोल लो, प्रभु संग बोल लो,
दान न कभी तोल दो, वरदान लीजिए।
— रवि रश्मि ‘अनुभूति’