पर्यावरण

मानव अपने भविष्य की जड़ स्वयं खोद रहा है

कितने दुख और अफ़सोस की बात है कि मानव प्रजाति, जो अपने आपको इस पृथ्वी का सबसे बुद्धिमान प्राणी समझता है!, वह जिस पृथ्वी पर पैदा हुआ है, जिन खेतों से अन्न प्राप्त करता है, जिन नदियों के जल से उसका जीवन का हर काम होता है, जिन हरे-भरे जंगलों से वह ऑक्सीजन लेकर जिंदा रहता है, जिन समुद्रों से विविध प्रकार की अमूल्य खाद्य पदार्थ प्राप्त करता है, जिन ऊँचे पर्वतों पर लाखों करोड़ों वर्षों से बर्फ के जमें ग्लेशियरों से साल भर सतत, निर्मल जल लेकर नदियां अपने मीठे जल से समस्त जैवमंडल की प्यास बुझातीं हैं, पूरे ब्रह्मांड में अपने अस्सी लाख (8000000)असंख्य रंगविरंगे, विविधताओं से भरे जीवों की साँसों के स्पंदन से युक्त इस इकलौती हरी-नीली आभा युक्त अपनी माँ सरीखी ‘धरती ‘को ही नष्ट करने की मूर्खतापूर्ण कुकृत्य करने पर तुला हुआ है!
यह मानव प्रजाति इस पृथ्वी का इतना तीव्र गति से अपने स्वार्थ और हवसपूर्ति के लिए दोहन कर रहा है, जितना इस मनुष्य प्रजाति से हजारों गुना बड़े साढ़े छः करोड़ साल पूर्ल विलुप्त हो गये विशाल डाइनोसॉरस और वर्तमान में प्रकृति की अब तक की सबसे विशाल स्तनधारी समुद्री जीव ‘ह्वेल ‘भी नहीं की है। वैज्ञानिकों के अनुसार मानवप्रजाति ने इस पृथ्वी, इसके पर्यावरण, इस पृथ्वी के ही अपने सहोदर हजारों -लाखों जीव-जन्तुओं का जिस तेजी से संहार किया है, उतना इस पृथ्वी पर अवतरित किसी अन्य जीव ने इतना खूनखराबा, हत्यायें और विध्वंस नहीं किया है!
इस पृथ्वी पर जितने धर्म आए उनमें सबसे मानवीय और वैज्ञानिक धर्म भगवान बुद्ध द्वारा स्थापित बौद्ध धर्म है, जिसमें अहिंसा सर्वोपरि है, वह मानव सहित सभी जीवों को जीने का समान रूप से अधिकार देता है, जीवों के प्रति करूणा, ममता और दया की भावना से ओत-प्रोत आदेश बौद्ध धर्मावलंबी सम्राट, सम्राट अशोक ने इस दुनिया में प्रचारित, प्रसारित कराया उतना इस दुनिया के किसी राजा, महाराजा और सम्राट ने नहीं किया, अन्यथा अन्य सभी राजाओं, धर्मों और सरकारों ने बलि के नाम पर, खेल के नाम पर, आमोद – प्रमोद के नाम पर, विकास के नाम पर इस धरती के वन्यप्राणियों का जितना बध किया है और इस धरती के प्राकृतिक संसाधनों का जितना दोहन और, विध्वंस किया है कि आज समस्त जैवमण्डल मानवोचित कुकृत्यों की वजह से अपने अस्तित्व की अंतिम लड़ाई लड़ रहा है और बहुत से जीव-जन्तु इस अमानवीय लड़ाई में मिनव प्रजाति से हारकर इस पृथ्वी से सदा के लिए काल के गाल मे समा गये।
इसी सम्बन्ध में संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में 450 प्रकृति विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की टीम ने ‘ समरी फॉर पॉलिसीमेकर ‘ नामक रपट तैयार की है, जिसके अनुसार सैकड़ों सालों से मनुष्य प्रजाति ने इस पथ्वी के वनों, सागरों, पहाड़ों, नदियों, भूमि , वायु, अंतरिक्ष आदि-आदि का इतना जबर्दस्त दोहन किया है कि समस्त पृथ्वी के जैवमण्डल के दसियों लाख (12.5 प्रतिशत) जैव प्रजातियों पर इस पृथ्वी से अगले कुछ सालों में ही सदा के लिए विलुप्त हो जाने का खतरा पैदा हो गया है!, जिसमें सफेद गैंडा, सुमात्राई गैंडा, काले गैंडे, रूसी अमूर तेंदुए, भारतीय व अफ्रीकी जंगली हाथी, बोर्नियो के ऑरंगुटैन आदि-आदि प्रमुख, विशिष्ट और बड़े जीव भी सम्मिलित हैं।
जर्मनी के ‘ हेल्महोल्त्ज सेंटर फॉर एनवायरनमेंट रिसर्च ‘ के प्रोफेसर और संयुक्त राष्ट्र के जैव विविधता एवं परिस्थिति तंत्र सेवाओं के अन्तरसरकारी विज्ञान नीति मंच {आईपीबीईएस) के सह अध्यक्ष जोसेफ सेटल ने कहा है कि ‘फिलहाल मनुष्यप्रजाति के विलुप्तिकरण का कोई खतरा नहीं है, परन्तु दीर्घकाल के लिए नहीं कह सकते!, परन्तु भविष्य में अगर मनुष्य प्रजाति विलुप्त होती है तो प्रकृति सदा की तरह कोई न कोई रास्ता खोज लेगी। ‘
अगर वैज्ञानिकों की इतनी गंभीर चेतावनी के बाद भी मनुष्य प्रजाति अपने में सुधार नहीं करती, तो साढ़े छः करोड़ साल पहले जैसे आकाशीय उल्कापिंड के आघात से हुई इस पृथ्वी के महाविनाश में, जिसमें इस पृथ्वी के महाकाय डॉयनोसोरों की समूची प्रजाति को ही विध्वंस कर दिया था, वैसे ही इस महाविध्वंस में कोई बाहरी ताकत नहीं अपितु अपने महाविनाश का कारण स्वयं मनुष्य प्रजाति होगी!, इसलिए इस तथाकथित मनुष्य प्रजाति के इस पृथ्वी, इसके पर्यावरण और समस्त जैवमण्डल के प्रति अपने कृत्यों की एक बार गहन समीक्षा कर लेनी चाहिए। इसी में इस पृथ्वी के समस्त जैवमण्डल की, जिसमें स्वयं मनुष्य प्रजाति भी है, की भलाई छिपी है, अन्तर्निहित है।

निर्मल कुमार शर्मा

*निर्मल कुमार शर्मा

"गौरैया संरक्षण" ,"पर्यावरण संरक्षण ", "गरीब बच्चों के स्कू्ल में निःशुल्क शिक्षण" ,"वृक्षारोपण" ,"छत पर बागवानी", " समाचार पत्रों एवंम् पत्रिकाओं में ,स्वतंत्र लेखन" , "पर्यावरण पर नाट्य लेखन,निर्देशन एवम् उनका मंचन " जी-181-ए , एच.आई.जी.फ्लैट्स, डबल स्टोरी , सेक्टर-11, प्रताप विहार , गाजियाबाद , (उ0 प्र0) पिन नं 201009 मोबाईल नम्बर 9910629632 ई मेल [email protected]