माँ का आँचल
कितना प्यारा माँ का आँचल
समेट लेती गम दामन में
बच्चों की किलकारी गूँजती
खुशियाँ भर देती आँगन में
खुद कष्ट झेले मगर बच्चों के
लिए खुशियों की माला पिरोती हैं
माँ की गोद में सिर रखकर
अलौकिक आनन्द की अनुभूति होती है
जब भी मन में निराशा होती
आशा की किरण जगाती हैं
बच्चों से गलती हो जाए तो
उन्हें प्यार से समझाती हैं
माँ प्रथम शिक्षिका ही नहीं
अपितु पथ-प्रदर्शिका होती हैं
जब बच्चों की परीक्षा होती
तब माँ की नींद भी उड़ती है
सच्चाई की राह पर चलना
बच्चों को सिखलाती हैं
जब भी मन अशांत होता
माँ अपने आँचल में छुपाती हैं
माँ तो बस माँ होती इन्हें
शब्दों में पिरोना मुश्किल है
माँ के इस छोटे से शब्द में
ये पूरी सृष्टि समाहित है
जो बच्चे माँ का दिल दुखाए
नही होता उनका कल्याण
जो माँ का सम्मान करें
उन्हें मिलता जग में सम्मान।
— सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा