कविता

माँ का आँचल

कितना प्यारा माँ का आँचल
समेट लेती गम दामन में
बच्चों की किलकारी गूँजती
खुशियाँ भर देती आँगन में
खुद कष्ट झेले मगर बच्चों के
लिए खुशियों की माला पिरोती हैं
माँ की गोद में सिर रखकर
अलौकिक आनन्द की अनुभूति होती है
जब भी मन में निराशा होती
आशा की किरण जगाती हैं
बच्चों से गलती हो जाए तो
उन्हें प्यार से समझाती हैं
माँ प्रथम शिक्षिका ही नहीं
अपितु पथ-प्रदर्शिका होती हैं
जब बच्चों की परीक्षा होती
तब माँ की नींद भी उड़ती है
सच्चाई की राह पर चलना
बच्चों को सिखलाती हैं
जब भी मन अशांत होता
माँ अपने आँचल में छुपाती हैं
माँ तो बस माँ होती इन्हें
शब्दों में पिरोना मुश्किल है
माँ के इस छोटे से शब्द में
ये पूरी सृष्टि समाहित है
जो बच्चे माँ का दिल दुखाए
नही होता उनका कल्याण
जो माँ का सम्मान करें
उन्हें मिलता जग में सम्मान।

सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा

सुमन अग्रवाल "सागरिका"

पिता का नाम :- श्री रामजी लाल सिंघल माता का नाम :- श्रीमती उर्मिला देवी शिक्षा :-बी. ए. ग्रेजुएशन व्यवसाय :- हाउस वाइफ प्रकाशित रचनाएँ :- अनेक पत्र- पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित। सम्मान :- गीतकार साहित्यिक मंच द्वारा श्रेष्ठ ग़ज़लकार उपाधि से सम्मानित, प्रभा मेरी कलम द्वारा लेखन प्रतियोगिता में उपविजेता, ताज लिटरेचर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, साहित्य सुषमा काव्य स्पंदन द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, काव्य सागर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में श्रेष्ठ कहानीकार, साहित्य संगम संस्थान द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, सहित्यपिडिया द्वारा लेखन प्रतियोगिता में प्रशस्ति पत्र से सम्मानित। आगरा