कविता

अपनी किस्मत

“तुम”, अपनी जिंदगी में खुश हो
मेरा प्यार, सिसकीओ में जिन्दा है

हर बार, बार बार अपने पे शर्मिंदा है

मेरी चाहत, तुम्हारे इबादत से कम नहीं
तुमको हमारी इबादत मंजूर नहीं

कोस लेता हु, अपनी किस्मत को
जिसको तुम्हारा प्यार नसीब नहीं

रवि प्रभात

पुणे में एक आईटी कम्पनी में तकनीकी प्रमुख. Visit my site