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सृजन के अंकुर काव्यगोष्ठी

12/05/2019 – मातृदिवस पर काव्यमयी संस्था “सृजन के अंकुर” द्वारा आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने नारी के सशक्तिकरण और मां की महिमा का बखान किया। इस दौरान मां को भगवान का रूप बताया गया। वहीं बेटियों को शिक्षित और प्रोत्साहित कर आगे बढाने की बात कही। मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. निरंजन मिश्र और डाॅ. हरिनारायण जोशी ने किया।
कवयित्री पूनम रजा द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के साथ गोष्ठी को औपचारिक शुरूआत मिली। इस दौरान वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. निरंजन मिश्र ने कहा कि नारी सदैव से ही पूज्य है। कोई भी युग रहा हो, नारी को हमेशा पूजा गया। शक्ति स्वरूपा नारी ने समाज के उत्थान के लिए अनेक प्रयास किए। डाॅ. हरिनारायण जोशी ने कहा कि बेटियों को खुद ही इतना सशक्त और सबल होना चाहिए कि कोई भी बुराई उन तक पहुंच न सके। उन्होंने कई उदाहरण देकर बेटियों के सशक्तिकरण की बात कही। दावा किया कि आज बेटियों ने हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनावाया है। प्रेरक व्यक्तित्व से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार धमेंद्र चौधरी और बालकृष्ण शास्त्री ने सृजन के अंकुर काव्यगोष्ठी की सराहना करते हुए कहा कि बेटियों को मार्गदर्शन की जरूरत है और इस तरह के कार्यक्रम हमेशा प्ररेणादायी होते हैं। नवोदित कवयित्री ईशा ने निर्भया सहित नारी उत्पीडऩ की कई घटनाओं का जिक्र करते हुए बेटियों की पीड़ा को बहुत मार्मिक ढंग से उकेरा। उनका कहना था कि खुद ही इतनी सबल कि कोई हेल्पलाइन न हो। सवाल उठाया कि आज तक बेटों को बढ़ाने पढ़ाने और उनके लिए हेल्पलाइन बनाने की जरूरत क्यों महसूस नहीं हुई। रामचन्द्र ममगाँई ने कहा कि “तू मन्नत माता पिता की, मैं संतान अनचाही हूं” के रूप में बेटियो की पीड़ा को प्रस्तुत किया। सतेंद्र शर्मा तरंग की मां को समर्पित कविता भी खूब सराही गई। धनेश्वर द्विवेदी और रामचन्द्र ममगाँई के संयुक्त संयोजन में हुए कार्यक्रम में शिवानी, हिमानी, धमेन्द्र उनियाल, गौरव जोशी, अंकित नैनवाल, आशीष भट्ट, उमेश जोशी, नित्यानंद ममगाँई, गौरव उनियाल, पंकज जोशी, ऋतिका थपलियाल, तुषार शर्मा, पूनम रजा, अंकित ममगई, सौरभ हिंदवाण, मुजफ्फरनगर से आए सोनू आदि ने भी अपनी प्रस्तुति दी। पंकज अरोड़ा ने आंगुतकों का आभार जताया। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी दिए गए। इस अवसर पर चित् तरंगिणी त्रैमासिक पत्रिका का विमोचन भी किया गया।

रामचन्द्र ममगाँई पंकज

नाम- रामचंद्र ममगाँई । साहित्यिक नाम-पंकज । जन्मतिथि- 15 मई 1996 पिता का नाम- श्री हंसराम ममगाँई। माता का नाम- श्रीमति विमला देवी। जन्म स्थान-घनसाली टिहरी गढवाल उत्तराखंड। अस्थायी पता - देवपुरा चौक हरिद्वार उत्तराखण्ड। स्थाई पता- ग्राम मोल्ठा पट्टी ढुंगमन्दार घनसाली जिला टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड पिन को- 249181 मो.न. 9997917966 ईमेल- [email protected] शिक्षा- शास्त्री और शिक्षाशास्त्री रचना साझा संकलन 1 अनकहे एहसास 2. एहसास प्यार का विशेष - चित् तरंगिणी त्रैमासिक पत्रिका का मुख्यसम्पादक । हिन्दी व संस्कृत के विभिन्न विषयों पर लेख व कविता अनेक पत्रिकाओं व अखबार में प्रकाशित ॥