दुल्हन
पिया मिलन की चाह लिए
मन में प्यार अथाह लिए
सज धज के, करके सोलह सिंगार
दुल्हन खड़ी करती इंतजार
कैसे रहूंगी अपनों के बिन ?
यादों को रही उंगलियों पर गिन
कहीं भैरवी सा मन, कहीं मेघ मल्हार
एक पल नई खुशी, एक पल दुःख की फुहार
सज धज के, करके सोलह सिंगार
दुल्हन खड़ी करती इंतजार..
डोली में बैठी, मन कई मोह में
इस पार या उस पार, उहापोह में
आई जब वह अपने पी के द्वार
नैनन सजाए सपने हजार
सज धज के, करके सोलह सिंगार
दुल्हन खड़ी करती इंतजार
— प्रियंका अग्निहोत्री ‘गीत’