धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

विशेष सदाबहार कैलेंडर-133

1..”आंसू” जता देते है, “दर्द” कैसा है?
“बेरूखी” बता देती है, “हमदर्द” कैसा है?

“घमण्ड” बता देता है, “पैसा” कितना है?
“संस्कार” बता देते है, “परिवार” कैसा है?

“बोली” बता देती है, “इंसान” कैसा है?
“बहस” बता देती है, “ज्ञान” कैसा है?

“ठोकर” बता देती है, “ध्यान” कैसा है?
“नजरें” बता देती है, “सूरत” कैसी है?

“स्पर्श” बता देता है, “नीयत” कैसी है?
और “वक़्त” बता देता है, “रिश्ता” कैसा है!

2.सभ्यता का स्वरूप है
अपने लिए कठोरता और दूसरों के लिए उदारता.

3.दौलत नहीं, शोहरत नहीं,
न वाह-वाह चाहिए,
कहां हो? कैसे हो?
दो लफ़्ज़ों की परवाह चाहिए.

4.इस संसार में देखने के लिए बहुत-से खूबसूरत इंसान हैं,
पर सबसे खूबसूरत जगह है,
बंद आंखों से अपने भीतर देखना.

5.ग़लत का साथ,
सबसे बड़ा अपराध.

6.’व्यक्ति’ क्या है ये महत्त्वपूर्ण नहीं है,
‘व्यक्ति में’ क्या है ये महत्त्वपूर्ण है.

7.संतुष्ट मन,
सबसे बड़ा धन.

8.कैसे खिलेंगे रिश्तों के फूल,
अगर ढूंढते रहेंगे एक दूसरे की भूल.

9.कहते हैं दिल की बात हर किसी को बताई नहीं जाती,
पर दोस्त तो आइना होते हैं,
आइने से कोई बात छुपाई नहीं जाती.

10.’गति’ के लिए ‘चरण’
और
‘प्रगति’ के लिए ‘आचरण’ बहुत जरूरी है.

11.आपसे मधुर संबंध ही
मेरा सबसे बड़ा धन है,
उन संबंधों को मेरा नमन है.

12.कर्म ही एक ऐसा रेस्टोरेंट है,
जहां हमें ऑर्डर देने की जरूरत नहीं,
हमें वही मिलता है जो हमने पकाया है.

13.आपके कर्म ही आपकी पहचान हैं,
वरना एक नाम के हजार इंसान हैं.
हवाएं मौसम का रुख बदल देती हैं,
दुआएं मुसीबत का रुख बदल देती हैं.

14.चलने की कोशिश तो करो,
दिशाएं बहुत हैं,
रास्तों पए बिखरे कांटों से न डरो,
दुआएं बहुत हैं.

15.किरण चाहे सूर्य की हो या आशा की,
जीवन के सभी अंधकार को मिटा देती है.

16.संघर्ष में आदमी अकेला होता है,
सफलता में दुनिया उसके साथ होती है.

17.जब-जब जग किसी पर हँसा है,
तब-तब उसी ने इतिहास रचा है.

18.जो मुस्कुरा रहा है उसे दर्द ने पाला होगा,
जो चल रहा है उसके पाँव में छाला होगा,
बिना संघर्ष के इन्सान चमक नहीं सकता,
जो जलेगा उसी दिये में तो उजाला होगा.

19.हम आंखों से नहीं, हौसले से देखते हैं,
कह दो फ़िज़ाओं से, तुम्हारी रंगत हमीं से है.

20.हम हाथों से नहीं, हौसलों से खेलते हैं,
कह दो दुनियावालों से, तुम्हारी रंगत हमीं से तो है.

21.हमने सीखा है हौसलों से खेलना,
हमें किसी की चापलूसी की दरकार नहीं है.

22.पर्यावरण को हमें हर हाल में बचाना है,
आने वाली पीढ़ी को देना ये नज़राना है.

23.सफल वही होता है,
जो दूसरों की आलोचना से,
मजबूत आधार तैयार करता है.

24.चलने दो ज़रा आंधियां हक़ीक़त की,
न जाने कौन से झोंके से,
अपनों के मुखौटे उड़ जायें.

25.जिसके पास धैर्य है,
वह जो चाहे वो पा सकता है.

26.जन-जन का जब हो सहकार,
मिल सकता आनंद-उपहार.

27.तेज धूप सह भी हे तरुवर,
शीतल छाया देते हो,
हमको भी सिखला दो कैसे,
यह संभव कर लेते हो?

28.कुछ नया करो, कुछ नया करो,
पर्यावरण में नव ऊर्जा भरो.

29.साइकिल चलाइए, स्वास्थ्य बेहतर बनाइए,
पर्यावरण को प्रदूषण से, खुद को ट्रैफिक जाम से मुक्त कराइए.

30खुशियों का मौसम आता रहे,
हमारा मन खुशी के गीत गाता रहे.

31.दुनिया का हर शौक पाला नहीं जाता,
कांच के खिलौनों को उछाला नहीं जाता,
मेहनत करने से हर मुश्किल हो जाती है आसान,
क्योंकि हर मुश्किल को टाला नहीं जाता.

 

प्रस्तुत है पाठकों के और हमारे प्रयास से सुसज्जित विशेष सदाबहार कैलेंडर. कृपया अगले विशेष सदाबहार कैलेंडर के लिए आप अपने अनमोल वचन भेजें. जिन भाइयों-बहिनों ने इस सदाबहार कैलेंडर के लिए अपने सदाबहार सुविचार भेजे हैं, उनका हार्दिक धन्यवाद.
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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “विशेष सदाबहार कैलेंडर-133

  • लीला तिवानी

    हर उस बात पर विश्वास मत करिए,
    जो आप देख-सुन रहे हैं,
    हमेशा हर कहानी के तीन पहलू होते हैं,
    आपका, उनका और सच्चाई का.

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