कविता

मेरे हमराही

न मैं जानता हूं,
न मैं पहचानता हूं।
फिर भी हर दिन,हर पल
उसको ही सोचता हूं।
आज नहीं तो कल
कल नहीं तो आज
पर वे मुझे मिलेगे।
मेरे हमसफर की तरह
मेरे हमराही की तरह।
जब भी उस खुदा की
मर्जी होगी।
जब भी उस खुदा की
रजा होगी ।
वे मुझे मिलेंगे एक दिन
पर जरूर एक दिन।

राजीव डोगरा 

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- [email protected] M- 9876777233