मेरे हमराही
न मैं जानता हूं,
न मैं पहचानता हूं।
फिर भी हर दिन,हर पल
उसको ही सोचता हूं।
आज नहीं तो कल
कल नहीं तो आज
पर वे मुझे मिलेगे।
मेरे हमसफर की तरह
मेरे हमराही की तरह।
जब भी उस खुदा की
मर्जी होगी।
जब भी उस खुदा की
रजा होगी ।
वे मुझे मिलेंगे एक दिन
पर जरूर एक दिन।
— राजीव डोगरा