ग़ज़ल
अब तक विकास के लिए’ क्या क्या किया गया
कमजोर वास्ते तो’ जरा सा किया गया |
सबका विकास, हाथ सभी का, यही तो मंत्र
तारीफ से गरीब में’ प्यारा किया गया |
हर बार इंतखाब में’ वादा है’ इज्दियाद (बढ़ चढ़ कर )
पूरा नहीं हुआ जो’ भी’, वादा किया गया |
नास्तिक ने’ बार बार इबादत की’ है जहाँ
मंदिर में बार बार ही’ सजदा किया गया |
सब झूठ को छुपा लिया’ पर्दा गिरा दिया
जनता से’ सब असत्य बहाना किया गया |
कोई उपाय था नहीं’ नाराज बाप थे
तब कनखियों से’ एक इशारा किया गया |
वो जिंदगी में’ उनसे’ तो’ पहली दफा मिला
था गैर पर उसे ही’ भरोसा किया गया |
सालों लड़ाई’ की, हुआ कुछ भी नहीं, अभी
दुश्मन से’ दोस्ती का’ इरादा किया गया |
हर युग की’ राजनीति में’ ही पक्षपात था
पीड़ित दलित को’ फक्त निशाना किया गया |
अब पददलित दशा में’ हुई कुछ प्रगति जरूर
जितना हुआ प्रचार तो’ ज्यादा किया गया |
कानून नर बनाया’ था ‘ काली’ नसीब है
नर के लिए बखेड़ा ही पैदा किया गया |
शब्दार्थ: इज्दियाद -(बढ़ चढ़ कर )
नर –मनष्य
कालीपद ‘प्रसाद’