राजनीतिलेख

कभी ईवीएम अच्छी कभी खराब क्या करे चुनाव आयोग

समसायिक मुद्दा

कभी ईवीएम अच्छी कभी खराब क्या करे चुनाव आयोग

            भारत निर्वाचन आयोग नई दिल्ली भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों से एक ऐसा ढांचा जोकि अपने स्वतंत्र अधिकारों से निर्वाचन के माध्यम से देश के अन्दर व बाहर काफी प्रतिष्ठा अर्जित कर चुका है। 2004 से ईवीएम के प्रयोग ने नयी क्रान्ति ला दी है।2019 में वीवीपैट के प्रयोग ने पूर्णतया पारदर्शिता भी पैदा कर दी।जहां तक सवालों का प्रश्न है समय समय पर लगभग हर दल ने उठाये हैं।एक दल के नेता ने तो किताब ही लिख डाली।ऐसे सवालों को समाप्त करने के लिए साल 2017 में चुनाव आयोग ने सभी दलों को आमन्त्रित किया कि आओ और अपनी शंका का समाधान कर लो पर केवल दो दलों एनसीपी और सीपीआई एम ने निमंत्रण स्वीकार किया पर यह दोनों भी आयोग की कार्यशाला में नहीं आये।इसके बाद देश में दर्जनों उपचुनाव व कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए पर आयोग व ईवीएम पर उंगली नहीं उठी अनेक दलों ने सरकारें बना ली।

अभी अभी 19 मई को लोकसभा चुनाव के सभी चरणों का चुनाव सम्पन्न हुआ।शाम को मीडिया के चुनाव बाद के अनुमान आते ही अधैर्यशाली दल व दलों के लोग ईवीएम का जिन्न बाहर ले आये और तरह तरह से उंगली उठाने लगे।परिणाम आने से दो दिन पहले ही चुनाव आयोग से एक दो ने नहीं बाइस दलों के प्रतिनिधियों ने मिलकर शिकायत कर डाली वह भी देश को पर्ची युग में ले जाने जैसी उस समय जब देश का सर्वोच्च न्यायालय इनकी यही मांग नकार रहा था।कितना हास्यास्पद है।उस बिल्ली की भांति जिसके भाग्य से छींका न टूटा हो और खिसियाकर खम्भा नोचने लगी हो।

यह लोग यह भी भूल गये कि चुनाव के पहले एआरओ स्त्र पर ईवीएम सैटकर चालू आई जारी की जाती है।उसके बाद बूथ पर सम्बन्धित दलों के अभिकर्ताओं के सामने दिखावटी मतदान होता है जिसके प्रमाण पत्र पर सभी अभिकर्ता हस्ताक्षर करते हैं।उसके बाद कन्ट्रोल यूनिट बैलेट यूनिट और वीवीपैट को पेपरसील स्ट्रेप सील व स्पेशल टैग से सील किया जाता है जिन पर सभी अभिकर्ताओं के हस्ताक्षर होते हैं वह इनके नम्बर भी नोट करते हैं।मतदान समाप्ति पर अभिकर्ताओं को फार्म 17 सी दिया जाता है जिसमें मतदान का पूर्ण विवरण होता है।इन्हीं के सामने मशीन का क्लोज बटन दबाया जाता है और बक्से में रखकर कई जगह सीलकर स्ट्रांग रूम में आ जाती है।जहां त्रिस्तरीय सुरक्षा वीडियों कैमरे के साथ-साथ सभी दलों के अभिकर्ता रात दिन पहरा देते हैं।यहीं अभिकर्ता मतगणना के दिन सभी तरह की सीलों का और मतदान लेखा 17 सी का अच्छी तरह मिलान करते हैं।उसके बाद ही मतगणना आरम्भ होती है।अब बताओं गड़बड़ी कहां पर हुई।कौन दोषी है।अगर चुनाव आयोग है ईवीएम है तो वह अभिकर्ता भी तो है जिसके सामने यह सब हुआ।क्यों न सबसे पहले उस अभिकर्ता को ही गैर जमानती अपराध में कम से कम दो साल के लिए अन्दर किया जाये जिसकी निगरानी में यह सब सम्पन्न हुआ और उसके दलों के आका ईवीएम की मनमानी व्याख्या कर रहे हैं।आयोग को दोषी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।उनमें चुनाव परिणाम आने वाले दिन तक का धैर्य नहीं है।देश में इस तरह के आम चुनाव में लगभग दोलाख कर्मचारी विभिन्न स्तरों पर अपने दायित्व का निर्वहन बड़ी ही निष्ठा व ईमानदारी से निभाते हैं कई बार अपनी जानजोखिम में डालते हैं।कम आक्सीजन कम भोजन पानी वाले स्थानों में जाकर बीस बीस किलोमीटर पैदल चलकर कर्तव्य निभाते हैं।क्या यह सवाल उन पर नहीं है। उन आईएस पीसीएस अधिकारियों की निष्ठा पर नहीं है तो रात दिन एक कर बड़े परिश्रम से सर्वोच्च परीक्षायें कई स्तरों पर उत्तीर्ण कर यहां तक पहुंचते हैं।इन उंगली उठाने वालों में से कितने हैं जो राजनीति छोड़कर आईएउस बनकर दिखा सकते हैं अथवा कितनों का अब तक का इतिहास है कि वह राजनीति को ठोकर मारकर आईएएस अधिकारी बने हैं।इसमें किसी को सन्देह न होना चाहिए कि अनेक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने आपको अच्छा व सफल राजनेता प्रमाणित किया है।

अब सवाल यह है कि चुनाव आयोग अपने कार्मिक परिवार के साथ कब तक ऐसे सवालों को झेलता रहेगा। मेरे आंकलन में उसे अपने अधिकारों को अच्छी तरह समझना चाहिए और उनका इस तरह से प्रयोग करे कि वह न केवल लागू हों अपितु लागू होते हुए निष्पक्षता के साथ दिखायी भी दें।वह अपने अधिकारों व कर्तव्य का प्रयोग दोषी को दोषी मानकर करने की आदत बना ले यह न देखे कि वह कौन क्या किस पद या दल से है। तब हमें लगता है कि सवालों को उठाने वाले और सवालों दोनों पर अंकंश लग सकेगा।हाथ की एक उंगली नहीं पांचों उंगलियां अपने संकेत व महत्व को समझ सकेगी।जहां तक मेरा अपना सवाल तो मैंने साल 2001 से अब हर चुनाव में चाहें वह पंचायत का हो विधानसभा या लोकसभा का एक दर्जन से अधिक बार पीठासीन अधिकारी के दायित्व का निर्वहन किया है।जिसके कारण ही जब जब चुनाव आयोग पर उंगली उठती है तो मुझे लगता है कि यह उंगली मुझ पर भी है और मुझे अपना व आयोग का पक्ष रखना पड़ता है।

*शशांक मिश्र भारती

परिचय - शशांक मिश्र भारती नामः-शशांक मिश्र ‘भारती’ आत्मजः-स्व.श्री रामाधार मिश्र आत्मजाः-श्रीमती राजेश्वरी देवी जन्मः-26 जुलाई 1973 शाहजहाँपुर उ0प्र0 मातृभाषा:- हिन्दी बोली:- कन्नौजी शिक्षाः-एम0ए0 (हिन्दी, संस्कृत व भूगोल)/विद्यावाचस्पति-द्वय, विद्यासागर, बी0एड0, सी0आई0जी0 लेखनः-जून 1991 से लगभग सभी विधाओं में प्रथम प्रकाशित रचना:- बदलाव, कविता अक्टूबर 91 समाजप्रवाह मा0 मुंबई तितली - बालगीत, नवम्बर 1991, बालदर्शन मासिक कानपुर उ0प्र0 -प्रकाशित पुस्तकें हम बच्चे (बाल गीत संग्रह 2001) पर्यावरण की कविताएं ( 2004) बिना बिचारे का फल (2006/2018) क्यो बोलते है बच्चे झूठ (निबध-2008/18)मुखिया का चुनाव (बालकथा संग्रह-2010/2018) आओ मिलकर गाएं(बाल गीत संग्रह 20011) दैनिक प्रार्थना(2013)माध्यमिक शिक्षा और मैं (निबन्ध2015/2018) स्मारिका सत्यप्रेमी पर 2018 स्कूल का दादा 2018 अनुवाद कन्नड़ गुजराती मराठी संताली व उड़िया में अन्यभाषाओं में पुस्तकें मुखिया का चुनाव बालकथा संग्रह 2018 उड़िया अनुवादक डा0 जे.के.सारंगी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन -जून 1991 से हास्य अटैक, रूप की शोभा, बालदर्शन, जगमग दीपज्योति, देवपुत्र, विवरण, नालन्दा दर्पण, राष्ट्रधर्म, बाल साहित्य समीक्षा, विश्व ज्योति, ज्योति मधुरिमा, पंजाब सौरभ, अणुव्रत, बच्चों का देश, विद्यामेघ, बालहंस, हमसब साथ-साथ, जर्जर कश्ती, अमर उजाला, दैनिक जनविश्वास, इतवारी पत्रिका, बच्चे और आप, उत्तर उजाला, हिन्दू दैनिक, दैनिक सबेरा, दै. नवज्योति, लोक समाज, हिन्दुस्तान, स्वतंत्र भारत, दैनिक जागरण, बालप्रहरी, सरस्वती सुमन, बाल वाटिका, दैनिक स्वतंत्र वार्ता, दैनिक प्रातः कमल, दैं. सन्मार्ग, रांची एक्सप्रेस, दैनिक ट्रिब्यून, दै.दण्डकारण्य, दै. पायलट, समाचार जगत, बालसेतु, डेली हिन्दी मिलाप उत्तर हिन्दू राष्ट्रवादी दै., गोलकोण्डा दर्पण, दै. पब्लिक दिलासा, जयतु हिन्दू विश्व, नई दुनिया, कश्मीर टाइम्स, शुभ तारिका, मड़ई, शैलसूत्रं देशबन्धु, राजभाषा विस्तारिका, दै नेशनल दुनिया दै.समाज्ञा कोलकाता सहित देश भर की दो सौ से अधिक दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, द्वैमासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक व वार्षिक पत्र-पत्रिकाओं में अनवरत। अन्तर जाल परः- 12 अगस्त 2010 से रचनाकार, साहित्य शिल्पी, सृजनगाथा, कविता कोश, हिन्दी हाइकु, स्वर्गविभा, काश इण्डिया ,मधेपुरा टुडे, जय विजय, नये रचनाकार, काव्यसंकलन ब्लाग, प्रतिलिपि साहित्यसुधा मातृभाषाडाटकाम हिन्दीभाषा डाटकाम,युवाप्रवर्तक,सेतु द्विभाषिक आदि में दिसम्बर 2018 तक 1000 से अधिक । ब्लागसंचालन:-हिन्दी मन्दिरएसपीएन.ब्लागपाट.इन परिचय उपलब्ध:-अविरामसाहित्यिकी, न्यूज मैन ट्रस्ट आफ इण्डिया, हिन्दी समय मा. बर्धा, हिन्दुस्तानी मीडियाडाटकाम आदि। संपादन-प्रताप शोभा त्रैमा. (बाल साहित्यांक) 97, प्रेरणा एक (काव्य संकलन 2000), रामेश्वर रश्मि (विद्यालय पत्रिका 2003-05-09), अमृतकलश (राष्ट्रीय स्तर का कविता संचयन-2007), देवसुधा (प्रदेशस्तरीय कविता संचयन 2009),देवसुधा (अ भा कविता संचयन 2010), देवसुधा-प्रथम प्रकाशित कविता पर-2011,देवसुधा (अभा लघुकथा संचयन 2012), देवसुधा (पर्यावरण के काव्य साहित्य पर-2013) देवसुधा पंचम पर्यावरणविषयक कविताओं पर 2014 देवसुधा षष्ठ कवि की प्रतिनिधि काव्यरचना पर 2014 देवसुधा सात संपादकीय चिंतन पर 2018 सह संपादन लकड़ी की काठी-दो बालकविताओं पर 2018 आजीवन.सदस्य/सम्बद्धः-नवोदित साहित्यकार परिषद लखनऊ-1996 से -हमसब साथ-साथ कला परिवार दिल्ली-2001 से -कला संगम अकादमी प्रतापगढ़-2004 से -दिव्य युग मिशन इन्दौर-2006 से -नेशनल बुक क्लव दिल्ली-2006 से -विश्व विजय साहित्य प्रकाशन दिल्ली-2006 से -मित्र लोक लाइब्रेरी देहरादून-15-09-2008 से -लल्लू जगधर पत्रिका लखनऊ-मई, 2008 से -शब्द सामयिकी, भीलबाड़ा राजस्थान- -बाल प्रहरी अल्मोड़ा -21 जून 2010 सेव वर्जिन साहित्य पीठ नई दिल्ली 2018 से संस्थापकः-प्रेरणा साहित्य प्रकाशन-पुवायां शाहजहांपुर जून-1999 सहसंस्थापक:-अभिज्ञान साहित्यिक संस्था बड़ागांव, शाहजहांपुर 10 जून 1991 प्रसारणः- फीबा, वाटिकन, सत्यस्वर, जापान रेडियो, आकाशवाणी पटियाला सहयोगी प्रकाशन- रंग-तरंग(काव्य संकलन-1992), काव्यकलश 1993, नयेतेवर 1993 शहीदों की नगरी के काव्य सुमन-1997, प्रेरणा दो 2001 प्यारे न्यारे गीत-2002, न्यारे गीत हमारे 2003, मेरा देश ऐसा हो-2003, सदाकांक्षाकवितांक-2004, सदाकांक्षा लघुकथांक 2005, प्रतिनिधि लघुकथायें-2006, काव्य मंदाकिनी-2007, दूर गगन तक-2008, काव्यबिम्ब-2008, ये आग कब बुझेगी-2009, जन-जन के लिए शिक्षा-2009, काव्यांजलि 2012 ,आमजन की बेदना-2010, लघुकथा संसार-2011, प्रेरणा दशक 2011,आईनाबोलउठा-2012,वन्देमातरम्-2013, सुधियों के पल-2013, एक हृदय हो भारत जननी-2015,काव्यसम्राटकाव्य एवं लघुकथासंग्रह 2018, लकड़ी की काठी एक बालकाव्य संग्रह 2018 लघुकथा मंजूषा दो 2018 लकड़ी की काठी दो 2018 मिली भगत हास्य व्यंग्य संग्रह 2019 जीवन की प्रथम लघुकथा 2019 आदि शताधिक संकलनों, शोध, शिक्षा, परिचय व सन्दर्भ ग्रन्थों में। परिशिष्ट/विशेषांकः-शुभतारिका मा0 अम्बाला-अप्रैल-2010 सम्मान-पुरस्कारः-स्काउट प्रभा बरेली, नागरी लिपि परिषद दिल्ली, युगनिर्माण विद्यापरिषद मथुरा, अ.भा. सा. अभि. न. समिति मथुरा, ए.बी.आई. अमेरिका, परिक्रमा पर्यावरण शिक्षा संस्थान जबलपुर, बालकन जी वारी इण्टरनेशनल दिल्ली, जैमिनी अकादमी पानीपत, विन्ध्यवासिनी जन कल्याण ट्रस्ट दिल्ली, वैदिकक्रांति परिषद देहरादून, हमसब साथ-साथ दिल्ली, अ.भा. साहित्य संगम उदयपुर, बालप्रहरी अल्मोड़ा, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद, कला संगम अकादमी प्रतापगढ़, अ. भा.राष्ट्रभाषा विकास संगठन गाजियाबाद, अखिल भारतीय नारी प्रगतिशील मंच दिल्ली, भारतीय वाङ्मय पीठ कोलकाता, विक्रमशिला विद्यापीठ भागलपुर, आई.एन. ए. कोलकाता हिन्दी भाषा सम्मेलन पटियाला, नवप्रभात जनसेवा संस्थान फैजाबाद, जयविजय मासिक, काव्यरंगोली साहित्यिक पत्रिका लखीमपुर राष्ट्रीय कवि चौपाल एवं ई पत्रिका स्टार हिन्दी ब्लाग आदि शताधिक संस्था-संगठनों से। सहभागिता-राष्ट्रीय- अन्तर्राष्टीय स्तर की एक दर्जन से अधिक संगोष्ठियों सम्मेलनों-जयपुर, दिल्ली, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, देहरादून, अल्मोड़ा, भीमताल, झांसी, पिथौरागढ़, भागलपुर, मसूरी, ग्वालियर, उधमसिंह नगर, पटियाला अयोध्या आदि में। विशेष - नागरी लिपि परिषद, राजघाट दिल्ली द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ वर्ग निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार-1996 -जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित तीसरी अ.भा. हाइकु प्रतियोगिता 2003 में प्रथम स्थान -हम सब साथ-साथ नई दिल्ली द्वारा युवा लघुकथा प्रतियोगिता 2008 में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति सम्मान। -सामाजिक आक्रोश पा. सहारनपुर द्वारा अ.भा. लघुकथा प्रति. 2009 में सराहनीय पुरस्कार - प्रेरणा-अंशु द्वारा अ.भा. लघुकथा प्रति. 2011 में सांत्वना पुरस्कार --सामाजिक आक्रोश पाक्षिक सहारनपुर द्वारा अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-2012 में सराहनीय पुरस्कार -- जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित 16 वीं अ.भा. हाइकु प्रतियोगिता 2012 में सांत्वना पुरस्कार ,जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित 24 वीं अ.भा. लघुकथा प्रतियोगिता 2018 में सांत्वना पुरस्कार सम्प्रति -प्रवक्ता संस्कृत:-राजकीय इण्टर कालेज टनकपुर चम्पावत उत्तराखण्ड स्थायी पताः- हिन्दी सदन बड़ागांव, शाहजहांपुर- 242401 उ0प्र0 दूरवाणी:- 9410985048, 9634624150 ईमेल [email protected]/ [email protected]