कविता

खामोशी….

जुबां  खामोश
पर कहने को बात बहुत है

गुमसुम का लिबास ओढ़े लब
पर खलबली बहुत है

बयां  हो रही आंखों से जज्बात
पढ़ने वाले शातिर बहुत है

चेहरे की मासूमियत में
दिल के एहसास छुपाएं है

इश्क का दम भरने वाले
इसे चुराने लगे है

वक्त शौकीन
सनम का दीदार अर्ज करते है

मुहब्बत की खुशबू से
दमक उठी महफिल है

उनके आगोश में आकर
जन्नत की ख्वाइश पूरी लगती है

बबली सिन्हा

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]