बाल कविता – मच्छर का गीत
रात हुई हम चले थे सोने।
और मीठे सपनों में खोने।
तभी कहीं से मच्छर आया।
उसने हमको गीत सुनाया।
गुन गुन गुन गुन।
सुन सुन सुन सुन।
नींद हमारी उड़ गई सारी।
गुस्सा हमको आया भारी।
सोचा इसको मज़ा चखाएँ।
पकड़ें इसको चपत लगाएं।
दोनों हाथ से हमने दाबा।
मच्छर फुर्ती से उड़ भागा।
हाथ हमारे रह गए खाली।
मच्छर समझा बजी है ताली।
पहले थोड़ा सा शरमाया।
जी भर के फिर वो इतराया।
और उसने कुछ यूँ फरमाया।
तुमको मेरा गीत है भाया।
ताली तुमने खूब बजाई।
मेरी प्रतिभा देख के भाई।
रोज़ रात अब मैं आऊंगा।
गीत कान पर ही गाऊंगा।
— डॉ मीनाक्षी शर्मा