कविता

कविता

चिड़िया  रही बहुत  मजबूर,
सहन किया रहना भी दूर।

चुन चुन तिनका नीड बनाया
आंधी तूफानों से बचाया
स्वप्न सजा एक घर  बनाया
प्रेम दीप से घर जगमगाया
चेहरे पर उसके था नूर।

रात अँधेरी छुप छुप काटे
उसे डराते थे सन्नाटे
प्रातः बेला उसे जगाती
शक्ति नई उसमे भर जाती
तब जाती वो घर से दूर।

श्रम से बनाया उसने घोंसला
रख के मन में बड़ा हौसला
पग पग दुनियां उसे डराती
सम्मोहन के जाल बिछाती
नही किया झुकना मंजूर।

शुभदा बाजपेई