गज़ल
दिन चेहरे को लिखूँ, जुल्फों को मैं रात लिखूँ
तेरी आँखों से बहे अश्कों को बरसात लिखूँ
रंग कागज़ का भी हो जाएगा गुलाबी कुछ
मैं जिस पे अपनी पहली-पहली मुलाकात लिखूँ
देखकर अपनी ही आँखों में मैं तस्वीर तेरी
जो दिल में उभरे हैं वो चंद खयालात लिखूँ
गज़ल होती नहीं पूरी मेरी जब तक न मैं
आखरी शेर में तुझसे जुड़ी कोई बात लिखूँ
— भरत मल्होत्रा