मुक्तक/दोहा

जय जनतंत्र की

भारत के जनतंत्र की,गूंज रही जयकार।
एक बार फिर से हुआ,मोदी का सिंगार ।।
वह सच्चा सरदार है, जननायक,सरताज ।
इसीलिए फिर से हुआ, क़ायम उसका राज।।
जनहित संवर्धित किये, लिया दिलों को जीत।
इससे ही जनता बनी, मोदी की मनमीत।।
रक्षक है वह देश का, हरदम ही तैयार।
किसमें दम जो कर सके, अब भारत पर वार।।
जो निर्णय जन ने दिया, हो उसका सम्मान।
सदविवेक, गंभीरता, का हो अब जयगान।।
वह निराश में आस है, है रोदन में हास।
हर भारतवासी करे, मोदी पर विश्वास।।
हर निर्धन का मित्र है, पीड़ित की मुस्कान।
मानवता की बन गये, मोदी नव पहचान।।
वोटों ने तो रच दिया, जय का नव इतिहास।
जनकल्याणक मंत्र ने, पाया नव आभास।
अभिनंदन-वंदन ‘शरद’, जय हो जन आदेश।
जनहित में है राष्ट्रहित, का शामिल आवेश।।
देश सदा हो अग्रसर, जय जय जय जनतंत्र।
शांतिपूर्ण मतदान ही, है विकास का मंत्र।।
              — प्रो. शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]