बालकविता “शिव-शंकर को प्यारी बेल”
जो शिव-शंकर को भाती है
बेल वही तो कहलाती है
तापमान जब बढ़ता जाता
पारा ऊपर चढ़ता जाता
अनल भास्कर जब बरसाता
लू से तन-मन जलता जाता
तब पेड़ों पर पकती बेल
गर्मी को कर देती फेल
इस फल की है महिमा न्यारी
गूदा इसका है गुणकारी
पानी में कुछ देर भिगाओ
घोटो-छानो और पी जाओ
ये शर्बत सन्ताप हरेगा
तन-मन में उल्लास भरेगा
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(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)