ये जीत नहीं कुछ लोगों की
यह भारत की जीत है।
कुकर्मों के कुठाराघात पर
निष्काम कर्म की जीत है।
लोभी लंपट और कपटी
सिमट गए हैं अब गुहा में
प्रतिघात पर अहंकार के
एकीकरण की जीत है।
खो गया था वह भारत
चिड़िया थी जो सोने की
स्वार्थियों के स्वार्थ पर
निस्वार्थ भाव की जीत है।
विश्व गुरू बन जाए भारत
दबी चाहत थी अंतर्मन में
कण कण पर अंधकार के
प्रबल प्रकाश की जीत है।
खेल हो रहा अब तो खत्म
अंधेरे नगरी चौपट राजा का
द्वार- द्वार पर अन्याय के
निष्पक्ष न्याय की जीत है।
मनाओ जश्न मिलजुल कर
माँ भारती के पावन पर्व का
लंकेश राज्य के राक्षसों पर
राम राज्य की रमण जीत है।
— निशा नंदिनी भारतीय
तिनसुकिया, असम