ग़ज़ल
तक़दीर में केवल खुशियां कब आती हैं
सच्चे प्यार में परेशानियां सब आती हैं
छुपा ना रहे जब राज़ कोई दरमियां
मोहब्बत में गहराइयां तब आती हैं
सोचा भूल गया तुझसे बिछड़के लेकिन
तेरे संग गुजारी शामें याद अब आती हैं
फैल जाती है खुशबू सारी फ़िज़ाओं में
तेरे तन को छूकर हवायें जब आती हैं
:- आलोक कौशिक