सन् दो हज़ार अठारह में प्रशासनिक सेवा हेतु बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा के अंतिम चरण का परिणाम आया था। मनीषा को सफलता प्राप्त हुई थी लेकिन मानव कुछ अंकों से असफल हो गया था। मनीषा और मानव अलग-अलग शहरों के रहने वाले थे किंतु दो वर्षों से दोनों पटना में रहते थे […]
Author: आलोक कौशिक
अंधविश्वास
प्रत्येक दिन किसी न किसी व्यक्ति की मौत हो रही थी। पिछले दस दिनों में पंद्रह लोगों की जानें जा चुकी थीं। पूरे गांव में दहशत का माहौल था। “कोई नहीं बचेगा इस गांव में। अगले महीने तक सब मर जाएंगे। इस गांव को उस फ़क़ीर की बद्दुआ लग गई है, जिसके साथ दीपक ने […]
जिस्म मंडी की रेशमा
सीमा परवीन उर्फ रेशमा को बेगमसराय के महबूबा जिस्म मंडी में उसके चाहने वाले उसके हसीन और आकर्षक जिस्म के कारण सनी लियोन के नाम से पुकारते थे। उसके आशिक़ों में सफ़ेदपोश, काले कोट और ख़ाकी वाले भी शामिल थे। जिस्म बेचना कभी भी उसकी मजबूरी नहीं रही। वह इस धंधे में इसलिए आई थी […]
जानकी का घर
कई वर्ष पश्चात दूरदर्शन पर धारावाहिक ‘रामायण’ के पुनः प्रसारण से कौशल्या देवी बहुत खुश थीं। सुबह के नौ बजते ही टेलीविजन के सामने हाथ जोड़ कर बैठ जाती थीं। आज रामायण देखते हुए वह अत्यंत भावविभोर हो रही थीं। सीता एवं लक्ष्मण को राम के संग वन जाते हुए देखकर कौशल्या देवी की आंखों […]
जीवन
मिलता है विषाद इसमें इसमें ही मिलता हर्ष है कहते हैं इसको जीवन इसका ही नाम संघर्ष है दोनों रंगों में यह दिखता कभी श्याम कभी श्वेत में कुछ मिलता कुछ खो जाता रस जीवन का है द्वैत में लक्ष्य होते हैं पूर्ण कई थोड़े शेष भी रह जाते हैं स्वप्न कई सच हो जाते […]
बेइंतहा प्यार
डीएम ऑफिस से आने के बाद से ही दीपमाला बहुत दुखी और परेशान थी। वह आईने के सामने खड़ी होकर अपने ढलते यौवन और मुरझाए सौंदर्य को देखकर बेतहाशा रोए जा रही थी। ऐसा लग रहा था मानो वह आईने से कह रही हो कि तुम भी लोगों की तरह झूठे हो। आज तक मुझे […]
ग़ज़ल
लगता है ज़िन्दगी से वह ऊब गया तभी तो मेरी मोहब्बत में डूब गया औरों से अलग था हर अन्दाज़ मेरा सब उत्तर की ओर तो मैं जनूब गया जीने की ज़िद में मरता नहीं है हौसला न जाने कितनी बार मसला दूब गया इश्क़ में भुला दिया था जिसने खुद को सुना है कि […]
ग़ज़ल
आशिक़ी हूं मैं किसी और की कह गई छत से पहले ही दीवार ढह गई जब से सुलझाया उसके गेसुओं को ज़िंदगी मेरी उलझ कर रह गई जो रहती नहीं थी कभी मेरे बग़ैर वो किसी और का बन कर रह गई बसाया था जिसे मैंने अपनी आंखों में वो बेवफा आंसुओं के संग बह […]
ग़ज़ल
लो कहता हूं जो कहा नहीं धड़कनों में मेरी हो तुम्हीं चलो बसाएं एक दुनिया इस दुनिया से दूर कहीं कर सके न जुदा कोई हमें अब रहना वहीं तुमसे है वजूद मेरा तुम नहीं तो मैं नहीं ✍️ आलोक कौशिक
नन्हे राजकुमार
मेरे नन्हे से राजकुमार करता हूं मैं तुमसे प्यार जब भी देखूं मैं तुझको ऐसा लगता है मुझको था मैं अब तक बेचारा और क़िस्मत का मारा आने से तेरे हो गया है दूर जीवन का हर अंधियार मेरे नन्हे से राजकुमार… मेरे दिल की तुम धड़कन तेरी हंसी से मिटती थकन प्यारी लगे तेरी […]