शेर बने बटेर (पासा पलटने वाले)
आज हवा फिर भइ मस्तानी
याद आ रही कुछ को नानी
मुरली लगे बजाने जोशी
आशिष देत फिरें अडवानी।
शत्रु सखा बेहाल पड़े हैं,
सिद्धू मियाँ निढाल पड़े हैं
कीर्ति और लवली को देखो
सारे ही कंगाल पड़े हैं ।
कुशवाहा जी खींस निपोरे,
उधर नायडू बने छिछोरे,
उदितराज घर ही रह जाते
लतियाते ना छोरी-छोरे ।।
— सुरेश मिश्र