कविता
दुआओ में लिये अपने ,घर को खुशहाल बनाना है,
घनी रूकावटो होते सपने ,भागते घोड़े सा निशाना है.
न रुकना ही न बैठे ही रहे, बस गम में बेग बढाना
अश्व सी तेज चाल रेखा ले बस ,तूफानों से टकराना है .
लताओं के मिल से उड़ने वाले आशाओं के मोहरे ,
तमन्ना की होड जीवन बना बढने को पग पाना है .
न घबराना न चाल धीमी से कोई कदम ही डोले
गजव की तेजी से सोचा मुश्किल कन्दराओमें जाना है..
— रेखा मोहन २५/५/१९