गज़ल
खुदा सबकी कब यूँ इमदाद क्यूँ नहीं करते
ये कौन लोग है फरियाद क्यूँ नही करते.
अभी नज़र न करे ये सभी रूदाद क्यूँ नही करते
सुबह जब नींद जागे तो सम्वाद क्यूँ नही करते.
खुदा लिखता है भाग्य तभी फरियाद नहीं करते
खता भरी अपने मुझे आज़ाद क्यूँ नही करते.
तभी किया बस खाली दिल का जब हर कोना
कभी तभी दिल को वो नाशाद क्यूँ नही करते .
हमारे दर्द का दरमा है जिनके हाथों में पकड़े
दवा अभी इस मर्ज कि ईजाद क्यूँ नही करते .
खुदा रहम है हक से तो शाद क्यूँ नही करते
खुदा के भलो बन्दों की इमदाद क्यों नही करते .
— रेखा मोहन