मन की बात
ये मन भोला है बड़ा, इस जग से अनजान ।
बोलो तो पहले करो, भली-भाँति पहचान ।।
मन की बातें मत कहो, मन में रखो छुपाय ।
मतभेदों के अन्त का, है बस यही उपाय ।।
चुभती कोई बात हो, दीजो उसे बिसार ।
मन की पीड़ा को कभी, समझे ना संसार ।।
मनमोहन मनमीत है, रखो उसी से आस ।
हरि हरता हर शोक को, है उस पर विश्वास ।।