मेरे नयनो का श्रृंगार तुमसे ही है ,
तुम हो मेरे, मेरी हर बात तुमसे ही है |
मेरी हर दिन की शुरुआत तुमसे है ,
टिमटिमाते तारों से भरी हर रात तुमसे ही है|
मेरी चाय के प्याले की मिठास तुमसे ही है,
मेरे हर निवाले की फ़रियाद तुमसे ही है |
मेरे गालों की लालीपन तुमसे ही है,
आइने की तलब बस तुमसे ही है |
मेरे हर आरज़ू ए फ़रियाद तुम से ही है,
मेरे हर अरमानो की डोर तुमसे ही है |
मेरे अज़ीज़ अदीब मेरी दुनिया तुमसे ही है,
मेरी हर अच्छाई और बुराई तुमसे ही है |
— युक्ति वार्ष्णेय “सरला”
मुरादाबाद