गीतिका/ग़ज़ल

मेरी हर बात तुमसे ही है

मेरे नयनो का श्रृंगार तुमसे ही है ,
तुम हो मेरे, मेरी हर बात तुमसे ही है |
मेरी  हर दिन की शुरुआत तुमसे है ,
टिमटिमाते तारों से भरी हर रात तुमसे ही है|
मेरी चाय के प्याले की मिठास तुमसे ही है,
मेरे हर निवाले की फ़रियाद तुमसे ही है |
मेरे गालों की लालीपन तुमसे ही है,
आइने की तलब बस तुमसे ही है |
मेरे हर आरज़ू ए फ़रियाद तुम से ही है,
मेरे हर अरमानो की डोर तुमसे ही है |
मेरे अज़ीज़ अदीब मेरी दुनिया तुमसे ही है,
मेरी हर अच्छाई और बुराई तुमसे ही है |
युक्ति वार्ष्णेय “सरला”
मुरादाबाद

युक्ति वार्ष्णेय 'सरला'

शिक्षा : एम टेक (कम्प्यूटर साइन्स) व्यव्साय : सी इ ओ एंड फ़ाउन्डर आफ़ "युकी क्लासेस " फ़ोर्मर सहायक प्रोफ़ेसर, हैड आफ़ कार्पोरेट अफ़ैयर्स, मोटिवेशनल ट्रैनर, करीयर काउन्स्लर , लेखिका, कवियत्री, समाज सेविका ! निवासी : जलाली, अलीगढ़ उत्तर प्रदेश वर्तमान निवास स्थान : मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश प्रकाशन : उत्तरांचल दर्पण, वसुंधरा दीप , न्यूज़ प्रिंट ,अमन केसरी, शाह टाइम्स , पंखुड़ी, उत्तरांचल दीप , विजय दर्पण टाइम्स, वर्तमान अंकुर, वार्ष्णेय पत्रिका, खादी और खाकी, न्यूजबैंच, नव भारत टाइम्स, अमर उजाला, दैनिक जागरण, जन लोकमत, पंजाब केसरी, अमर उजाला काव्य ! विधा : स्वतन्त्र लेखन शौक : इंटरनेट की दुनिया के रहस्य जानना, जिन्दगी की पाठ शाला में हरदम सीखना, पुस्तकें पढना, नए जगह घूमना और वहाँ का इतिहास और संस्कृति जानना, स्कैचिन्ग करना, कैलिग्राफ़ी, लोगो से मुखातिब होना इत्यादि |