रही उम्मीद जुस दर से वहीं रुसवा हुआ…
रही उम्मीद जिस दर से वहीं रुसवा हुआ
हुआ जो भी हमेशा सोच से उलटा हुआ
बताऊँगा अगर तो रो पड़ेंगे आप भी
न पूछो साथ मेरे हादिसा क्या क्या हुआ
सभी ने सिर्फ देखी होट पर खिलती हँसी
कहाँ देखा किसी ने दिल मेरा टूटा हुआ
तमन्ना हर तमन्ना को मचलती रह गयी
कोई अरमान दिल का कब कहाँ पूरा हुआ
शिकायत आपकी है आपसे मिलता नही
मुझे मुझसे मिले भी सच कहूँ अर्सा हुआ
वफ़ा ईमान चाहत प्यार अपनापन, सभी
नदारद हो गये जब से ख़ुदा पैसा हुआ
सुना है झूठ की बोली करोड़ों में लगी
किसी ने सच खरीदा ही नही, सस्ता हुआ
मुझे फिर आज उसकी याद आई और मैं
भरी महफिल हमेशा की तरह तन्हा हुआ
करीबी लोग मुझसे दूर जब जाने लगे
समझ आया मुझे तब खत्म सब किस्सा हुआ
सतीश बंसल
२१.०५.२०१९