गीतिका/ग़ज़ल

रही उम्मीद जुस दर से वहीं रुसवा हुआ…

रही उम्मीद जिस दर से वहीं रुसवा हुआ
हुआ जो भी हमेशा सोच से उलटा हुआ

बताऊँगा अगर तो रो पड़ेंगे आप भी
न पूछो साथ मेरे हादिसा क्या क्या हुआ

सभी ने सिर्फ देखी होट पर खिलती हँसी
कहाँ देखा किसी ने दिल मेरा टूटा हुआ

तमन्ना हर तमन्ना को मचलती रह गयी
कोई अरमान दिल का कब कहाँ पूरा हुआ

शिकायत आपकी है आपसे मिलता नही
मुझे मुझसे मिले भी सच कहूँ अर्सा हुआ

वफ़ा ईमान चाहत प्यार अपनापन, सभी
नदारद हो गये जब से ख़ुदा पैसा हुआ

सुना है झूठ की बोली करोड़ों में लगी
किसी ने सच खरीदा ही नही, सस्ता हुआ

मुझे फिर आज उसकी याद आई और मैं
भरी महफिल हमेशा की तरह तन्हा हुआ

करीबी लोग मुझसे दूर जब जाने लगे
समझ आया मुझे तब खत्म सब किस्सा हुआ

सतीश बंसल
२१.०५.२०१९

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.