गीत – आओ ऐसा दीप जलायें
आओ ऐसा दीप जलायें, मन का तिमिर मिटायें
हृदय प्रेम से आलोकित हो, नफरत दूर भगायें
जिनको नहीं चिराग मयस्सर, उनको गले लगायें
सिर्फ न अपना घर हो रौशन, घर घर दीप जलायें
आओ ऐसा दीप जलायें
छोटा सा माटी का दीपक, नन्हा जुगनू प्यारा
रात रात भर खुद जल जलकर, फैलाता उजियारा
आओ हम भी हर हालत म,ें उजियारा फैलायें
आओ ऐसा दीप जलायें
शीतल सुखद चन्द्रमा का तो, है अंदाज निराला
सूरज से लेकर उधार, बाँटे भरपूर उजाला
आओ हम भी निर्मल मन से, प्रेम सुधा बरसायें
आओ ऐसा दीप जलायें
अद्भुत त्याग तपस्या का परिचायक ‘भान’ हमारा
चले अहर्निश जले आग में जगमग हो जग सारा
आओ हम भी अटल भाव से शौर्य छटा बिखरायें
आओ ऐसा दीप जलायें
— उदय भान पाण्डेय ‘भान’