काल चक्र
काल चक्र
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क्या हो तुम ?
समाहित किये हुए स्वयं में ,
अनेंको
विशेषताओं को |
सृष्टि में सबसे भिन्न-
अनुभूति और भावनाओं से रहित |
संवेदन हीन, अविश्वासी और उद्दंड भी ,
आस्था अनास्था को करते हो विनष्ट ,
निरंकुश भ्रमण करते हो |नहीं जानती मैं तुम्हारा नाम |
पर
लोग कहते है
सर्वशक्तिमान
तुम्ही काल चक्र हो |
तुम्ही काल चक्र हो |
मंजूषा श्रीवास्तव ‘मृदुल’