स्वास्थ्य

मुँह के छाले : कारण और निवारण

गर्मी के मौसम में प्राय: मुँह में और जीभ पर चारों ओर छाले हो जाते हैं, जिनसे भोजन करने में बहुत कष्ट होता है और जलन भी होती है। ये छाले छोटे-बडे किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकते हैं। इनका प्रमुख कारण है पेट साफ न होना और शरीर में ख़ुश्की। कम पानी पीने तथा अनावश्यक भारी पदार्थ खाने-पीने से ये दोनों कारण उत्पन्न हो जाते हैं।

अत: मुँह के छालों से बचने के लिए अपना पेट साफ रखना चाहिए। जहाँ तक सम्भव हो घर की बनी हल्की वस्तुओं का ही सेवन करें और पर्याप्त पानी भी अवश्य पियें। गर्मी के दिनों में हमें कम से कम ३ लीटर शीतल जल प्रतिदिन पीना चाहिए।

यदि छाले हो गये हैं तो ऊपर दिये गये सुझावों के अलावा निम्नलिखित उपाय करने चाहिए-
1. पेडू पर ३-४ मिनट तक बर्फ लगाइए और फिर दो किमी टहलिए।
2. मिर्च मसाले और चाय-कॉफी आदि गर्म चीज़ें बन्द कर दीजिए।
3. मुँह में ठंडा पानी भरकर ५ मिनट रोकिए और फिर थूक दीजिए।
4. रात को सोते समय छालों पर शहद लगाइए।

इन उपायों से कैसे भी छाले हों दो-तीन दिन में अवश्य ही ठीक हो जाते हैं। जिनको यह शिकायत बार-बार होती है, उन्हें सुझावों का पालन सदा करते रहना चाहिए।

— डॉ विजय कुमार सिंघल
ज्येष्ठ कृ 8, सं 2076 वि (27 मई, 2019)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]