एक गज़ल
सितारों की आरजू में शरारे मिले|
गौरों से मिलकर देखा हमारे मिले ||
कैसे यकीन कर ले इस दुनिया पर हम|
दुश्मन ही दोस्तों से प्यारे मिले||
छत के नीचे देखो तो सब लगते है अपने|
देखा तो हर आँगन में दीवारें मिले||
मरती नही कभी अपनी मौत ये जिंदगी|
कब्र में देखा तो सब आदमी के मारे मिले||
— नसरीन अली “निधि”