आइये , मिलकर पढ़ें वे मंत्र ।
जो जगाएं प्यार मन में ,
घोल दें खुशबू पवन में ,
खुशी भर दें सर्वजन में ,
कहीं भी जीवन न हो ज्यों यंत्र ।
स्वर्ग सा हर गाँव घर हो ,
सम्पदा-पूरित शहर हो ,
किसी को किंचित न डर हो ,
हर तरह मजबूत हो हर तंत्र ।
छंद सुख के, गुनगुनायें ,
स्वप्न को साकार पायें ,
आइये , वह जग बनायें ,
हो जहाँ सम्मानमय जनतंत्र ।
– त्रिलोक सिंह ठकुरेला