ऐसी ईद मनाएं हम
ईद मने हर दिन सबकी ही ,दीवाली हर रात रहे ।
मन की मन से प्रीत बावरी ,सरस् सलिल जज्बात रहे ।
मकसद इक सद्भाव,शांति का ,आतंकी का अंत करो ।
दो हर दिल पैगाम मुहब्बत ,प्रेम अथाह अनन्त करो ।
नव उमंग हों स्वप्न संग अरु, खुशियों की बरसात रहे ।
मन की मन से प्रीत बावरी ,सरस् सलिल जज्बात रहे ।
भाई चारा मजहब अपना ,सुनो नहीं हैं गैर यहाँ ।
हाथ जोड़कर रब से माँगे ,इक दूजे की खैर यहाँ ।
चलो मिटायें दहशतगर्दी , नहीं कठिन हालात रहे।
मन की मन से प्रीत बावरी ,सरस् सलिल जज्बात रहे ।
रौनक छाई बाजारों में ,उतरा चंदा आँगन में ।
जश्न मनाओ ईद आ गयी ,गंध मदिर है प्राँगण में ।
शहनाई का साज सुरों में ,होंठ हसीं नग्मात रहे ।
मन की मन से प्रीत बावरी ,सरस् सलिल जज्बात रहे ।
— रीना गोयल ( हरियाणा)