मेरा वैराग्य
मेरा वैराग्य,
वास्तव में मेरा सौभाग्य है।
मेरी हस्ती,
उस खुदा की मस्ती है।
मेरा निश्चल प्रेम,
उस ईश्वर का प्रतिरूप है।
मेरी स्तुति,
उस ईश् की अभिव्यक्ति है।
मेरी वंदना,
उस अलख निरंजन की अनुभूति है।
मेरी भक्ति,
उस तत्पुरुष के लिए आस्था है।
मेरी शक्ति
परब्रह्म स्वरूप की मात्रा अंश है।
— राजीव डोगरा