श्रावणी बौछार की बातें
कब वहाँ पर प्यार की बातें हुईं
जब हुईं तकरार की बातें हुईं
पल दो’ पल कचनार की बातें हुईं
फिर तो हर दम खार की बातें हुईं
बाढ़ में जब बह गया सब, तब कहीं
नाव की, पतवार की बातें हुईं
कुर्सियों की जान पर जब जब बनी,
चोर थानेदार की बातें हुईं
जून सा था वोट का सीजन, मगर
श्रावणी बौछार की बातें हुईं
— बसंत कुमार शर्मा
जबलपुर मध्य प्रदेश