कविता

वन और जीव

मुझको लगते है प्यारे ,
वन्यजीव देखो हमारे ।
अब इनको बचाना है ,
बचेंगे तभी वन हमारे ।।
क्यों लगाते हो आग वन में ,
क्यों पहुँचाते हो नुकसान ।
पर्यावरण सरंक्षण के लिए ,
बनाओ इनको भी अभियान ।।
लुप्त हो रही है प्रजातियां ,
सब अपने मोह और लालच में ।
समय रहते सम्भल जाओ ,
एक जीव नहीं बचेगा कानन में ।।
कभी नहीं करेंगे वार ,
जीव-जन्तुओं से करो प्यार ।
मनुष्य और जीव-जंतु का साथ ,
फिर हो जायेगा धरती का सुधार ।।
जीव-जंतुओ को बचाने का ,
एक ऐसा अभियान चलाएंगे ।
इन प्यारे वन्यजीवों पर ,
हम सब मिलकर दया दिखाएंगे ।।
धरती पर हो रहे प्रदूषण को ,
धीरे-धीरे खत्म करेंगे ।
पर्यावरण सरंक्षण होगा और ,
वन्यजीव विचरण करेंगे ।।
अगर इन्हें बचाना है तो ,
पेड़-पौधों को मत काटो ।
जंगल में रहने दो इनको ,
इनके घर को मत बाँटो ।।
आओ सब मिल प्रण ले ,
करें वन और जीव की रक्षा ।
देखना  इसी से हो जाएगी ,
हमारी प्यारी धरती की सुरक्षा ।।
वन और जीव को बचाना है तो ,
प्रदूषण को जड़ से मिटाओ ।
करे विनती “जसवंत” सबसे ,
दो-दो पेड़ सब जन लगाओ ।।
— कवि जसवंत लाल खटीक

जसवंत लाल खटीक

रतना का गुड़ा ,देवगढ़ काव्य गोष्ठी मंच, राजसमन्द