बदलते रिश्ते
बाहर बादल अनवरत बह रहे थे और खिड़की पर बैठी सुमि की आँखें भी उसी तीव्रता से बह रहीं थीं मानो बादलों से होड़ ले रही हों !
याद है उसे आज भी वो दिन, जब विक्रम ने उसे प्रपोज़ करते हुए कहा था – “एक अदद अच्छी सी जॉब और फिर इक सुन्दर कन्या से शादी… बस इतना सा ख्वाब है ! पूरा करोगी ना?” शरमा कर रह गयी थी सुमि !
लगभग दो वर्ष का लम्बा इंतज़ार… और आज विक्रम की शादी है, ग्रीन कार्ड होल्डर से ! आख़िरकार, कपड़ों से मिट्टी झाड़ने जैसा आसान जो हो गया है, रिश्तों से पल्ला झाड़ना !
अंजु गुप्ता